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Last Updated : बुधवार, 24 जून 2020 (00:45 IST)

बाबा रामदेव की CORONIL दवा का आयुष मंत्रालय ने मांगा ब्योरा, जांच-पड़ताल तक विज्ञापन पर रोक के आदेश

बाबा रामदेव की CORONIL दवा का आयुष मंत्रालय ने मांगा ब्योरा, जांच-पड़ताल तक विज्ञापन पर रोक के आदेश - Ramdevs Patanjali Asked By Government To Explain COVID Drug Claim
नई दिल्ली/हरिद्वार। योग गुरु रामदेव की पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद ने कोविड-19 के इलाज में शत-प्रतिशत कारगर होने का दावा करते हुए मंगलवार को बाजार में एक औषधि उतारी। वहीं, इसके कुछ ही घंटे बाद आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) ने उसे इस औषधि में मौजूद विभिन्न जड़ी-बूटियों की मात्रा एवं अन्य ब्योरा यथाशीघ्र उपलब्ध कराने को कहा।
 
मंत्रालय ने विषय की जांच-पड़ताल होने तक कंपनी को इस उत्पाद का प्रचार भी बंद करने का आदेश दिया है। हालांकि यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो सका कि दवा की बिक्री अभी भी की जा सकती है?
 
बाद में पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमने नैदानिक परीक्षण के सभी मानदंडों को शत-प्रतिशत पूरा किया है और कंपनी ने दवाओं की संरचना का विस्तृत ब्योरा आयुष मंत्रालय को भेज दिया है।
उन्होंने कहा कि कंपनी की ओर से मंत्रालय को भेजे गए 11 पन्ने के जवाब में दवा और परीक्षण मंजूरी संबंधी पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया गया है। रामदेव ने पीटीआई से कहा कि इस दवा के अनुसंधान में पतंजलि और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों ने संयुक्त रूप से परीक्षण और क्लीनिक ट्रायल किया।
 
उन्होंने कहा कि पंतजलि ने सबसे पहले नैदानिक अध्ययन किया और दवा की खोज के लिए निर्धारित सभी नियमों का पालन करते हुए नैदानिक नियंत्रण परीक्षण (क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल) किया। 
 
आईसीएमआर जैसी सरकारी एजेंसी से दवा की मंजूरी लिए जाने के सवाल पर रामदेव ने कहा कि इन दवाओं का नैदानिक नियंत्रण अध्ययन दिल्ली, अहमदाबाद और मेरठ समेत कई शहरों में किया गया और आरसीटी (सांयोगिक नैदानिक परीक्षण) जयपुर आधारित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान में किया गया।
 
उन्होंने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरई) से मंजूरी मिलने और सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ऐसा किया गया। हमने ऐसे नैदानिक परीक्षण के लिए आधुनिक विज्ञान द्वारा तय सभी मानदंडों का पालन किया।पतंजलि आयुर्वेद ने 'कोरोनिल’ दवा पेश करते हुए मंगलवार को दावा किया कि उसने कोविड-19 का इलाज ढूंढ लिया है। हालांकि मंत्रालय ने कहा कि इस दावे के तथ्य और बताया जा रहे वैज्ञानिक अध्ययन के ब्योरे के बारे में उसे जानकारी नहीं है।
 
पतंजलि को नमूने के आकार, स्थान एवं उन अस्पतालों का ब्योरा देने को कहा गया है, जहां अनुसंधान अध्ययन किया गया। साथ ही संस्थागत नैतिकता समिति की मंजूरी भी दिखाने को कहा गया है।
 
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि संबद्ध आयुर्वेदिक औषधि विनिर्माता कंपनी को सूचित किया गया है कि आयुर्वेदिक औषधि सहित दवाइयों का इस तरह का विज्ञापन औषधि एवं चमत्कारिक उपाय (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम,1954 तथा उसके तहत आने वाले नियमों और कोविड-19 के प्रसार के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों से विनियमित होता है।

इससे पहले, हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में  रामदेव ने कहा कि यह दवाई शत-प्रतिशत (कोविड-19) मरीजों को फायदा पहुंचा रही है। 100 मरीजों पर नियंत्रित क्लिनिकल ट्रायल किया गया, जिसमें तीन दिन के अंदर 69 प्रतिशत और चार दिन के अंदर शत-प्रतिशत मरीज ठीक हो गए और उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई। 
 
फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के फेफड़ा रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रविशंकर झा ने पीटीआई  से कहा कि शरीर क्रिया विज्ञान के अनुसार, यह बिलकुल असंभव है कि यहां कोई दवा शरीर से वायरस को पांच से सात दिन में पूरी तरह समाप्त कर सकती है। (भाषा)
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