• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. COVID 19 changed the way we eat
Written By
Last Updated : मंगलवार, 1 नवंबर 2022 (20:01 IST)

ऑनलाइन सर्वेक्षण में हुआ खुलासा, COVID 19 ने हमारे भोजन के तरीके को बदला

ऑनलाइन सर्वेक्षण में हुआ खुलासा, COVID 19 ने हमारे भोजन के तरीके को बदला - COVID 19 changed the way we eat
क्यूबेक सिटी। 2020 की शुरुआत में कनाडा में एक के बाद एक प्रांत में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की घोषित की और महामारी प्रतिबंध लागू किए गए जिससे नियमित किराना खरीदारी के ढंग नाटकीय रूप से बदल गए। कोविड-19 की वजह से अनिश्चितता का सामना करते हुए कनाडा और दुनियाभर में कई लोगों ने भोजन और अन्य उत्पादों का भंडार करना शुरू कर दिया। 
 
कोविड-19 की वजह से अनिश्चितता का सामना करते हुए कनाडा और दुनियाभर में कई लोगों ने भोजन और अन्य उत्पादों का भंडार करना शुरू कर दिया। यह उन प्रभावों की एक श्रृंखला की शुरुआत थी, जो महामारी के दौरान भोजन के साथ हमारे अनुभवों पर पड़ा था।
 
महामारी के दौरान भोजन से संबंधित निर्णयों को बेहतर ढंग से समझने के लिए हमारी शोध टीम ने क्यूबेक प्रांत के वयस्कों के एक नमूने के बीच एक ऑनलाइन सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण में 2020 के वसंत में प्रारंभिक लॉकडाउन और 2021 की सर्दियों में क्यूबेक में कर्फ्यू अवधि के बीच 3 अलग-अलग समय बिंदुओं को शामिल किया गया।
 
हमारे अध्ययन से पता चला है कि महामारी की शुरुआत में लोगों ने स्टोर जाकर खाद्य पदार्थों की खरीदारी की अपनी आवृत्ति कम कर दी थी। गैरसंपर्क तरीकों से किराना स्टोर पर खरीदारी करने के तरीकों की लोकप्रियता में सामान्य वृद्धि कनाडा के लिए अद्वितीय नहीं थी और संभवत: इनके पीछे वजह एक ही थी कि लोगों में वायरस न फैले।
 
हमारे सर्वेक्षण से पता चलता है कि 2020 के मध्य तक इन स्टोर खरीदारी की आवृत्ति अपने पूर्व-महामारी स्तर पर वापस आ गई थी। हालांकि आबादी के एक बड़े हिस्से के बीच गैरसंपर्क किराने के तरीकों का उपयोग जारी रहने की उम्मीद थी।
 
महामारी ने न केवल हमारे द्वारा भोजन खरीदने के तरीके को बदल दिया बल्कि उन खरीदारी के पीछे के कारणों को भी बदल दिया। जैसा कि हमारे आगामी शोध में दिखाया गया है कि हमारे सर्वेक्षण के तीन-चौथाई से अधिक उत्तरदाताओं ने 2019 की तुलना में स्थानीय खाद्य खुदरा विक्रेताओं का समर्थन करने की इच्छा व्यक्त की। इसके अलावा उनमें से 68 प्रतिशत ने खाद्य उत्पादों के मूल देश पर अधिक महत्व दिया। उत्तरदाताओं ने यह भी कहा कि उनके क्रय निर्णय खाद्य उत्पादों की सुरक्षा और कीमत के साथ-साथ पर्यावरणीय और नैतिक प्रभाव से प्रेरित थे।
 
रेस्तरां बंद होने, होम स्कूलिंग और टेलीवर्किंग जैसे प्रमुख सामाजिक परिवर्तन, घर पर खाना पकाने की आवृत्ति में वृद्धि और खाना पकाने और भोजन योजना जैसे भोजन से संबंधित कौशल में सुधार के साथ आए। कई कनाडाई लोगों ने नए व्यंजन बनाना सीखा और बैकिंग की लोकप्रियता में अत्यधिक वृद्धि की पुष्टि महामारी के पहले हफ्तों में ब्रेड व्यंजन बनाने के तरीकों की ऑनलाइन खोजों में भारी वृद्धि से होती है (जो कि 2021 तक पूर्व-महामारी से अधिक रही)।
 
बेहतर भोजन-संबंधी कौशल परिवारों में सबसे अधिक स्पष्ट थे, जो संभवत: लॉकडाउन के दौरान खाना पकाने की गतिविधियों में बच्चों की भागीदारी में वृद्धि के कारण थे। इसके अलावा हमारे आगामी अध्ययन में सर्वेक्षण के एक तिहाई से अधिक उत्तरदाताओं ने अपने घर में उन्नत कौशल के कारणों के रूप में खाना पकाने, आराम और भोजन से प्राप्त आनंद और भोजन में रुचि के लिए बढ़े हुए समय और प्रेरणा की पहचान की।
 
जबकि बेहतर खाना पकाने के कौशल और अधिक बार घर में खाना बनाना फायदेमंद माना जा सकता है, वे एक नकारात्मक पहलू के साथ आए। कुछ लोग महामारी के दौरान भोजन तैयार करने से थक गए थे, जो कि 2020 की तुलना में 2021 की शुरुआत में बने बनाए खाद्य पदार्थों की खरीदारी या डिलीवरी ऑर्डर में वृद्धि में परिलक्षित हुआ था।
 
खाने के व्यवहार पर महामारी का प्रभाव अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न होता है। एक ओर ऐसा प्रतीत होता है कि भोजन का उपयोग आराम के स्रोत के रूप में किया गया है और महामारी लॉकडाउन के दौरान बोरियत से बचने का एक तरीका है।
 
हमारे उत्तरदाताओं में से एक-चौथाई से अधिक ने पहले की तुलना में महामारी के दौरान खाने की इच्छा में वृद्धि की सूचना दी, क्योंकि (उनके अपने शब्दों में) वे हर समय घर और भोजन के आसपास थे। दूसरी ओर उत्तरदाताओं के एक छोटे से अनुपात ने बताया कि उनकी खाने की इच्छा कम हो गई थी। इस बदलाव का मुख्य कारण तनाव और चिंता की भावना के साथ-साथ खाना पकाने की प्रेरणा में कमी थी।
 
लॉकडाउन का भोजन विकल्पों के स्वास्थ्य पर भी मिश्रित प्रभाव पड़ा। दुनियाभर में एकत्र किए गए डेटा को सारांशित करने वाले एक अध्ययन में पाया गया कि कुल मिलाकर लोगों ने महामारी लॉकडाउन के दौरान स्नैक्स और मिठाई जैसे अधिक अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की बात कही। हालांकि कुछ व्यक्तियों ने स्वस्थ भोजन विकल्प बनाने के लिए भी महामारी लॉकडाउन का लाभ उठाया।
 
फल और सब्जियां, फलियां और अनाज जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत से अस्वास्थ्यकर परिवर्तनों की भरपाई हो सकती है। आहार-संबंधी परिवर्तनों में व्यापक परिवर्तनशीलता को आंशिक रूप से व्यक्तियों की व्यक्तिगत परिस्थितियों पर महामारी के विभिन्न प्रभावों द्वारा समझाया जा सकता है। खाने के व्यवहार में अधिक बदलाव उन लोगों में देखे गए जिनकी नियमित काम की स्थिति महामारी से बाधित थी, जैसे कि नौकरी खोना या टेलीवर्किंग की तरफ जाना।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
ये भी पढ़ें
राजस्थान के CM गहलोत ने क्यों की PM मोदी की तारीफ? बताया इसलिए मिलता है दुनियाभर में सम्मान