• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. छठ पूजा
  4. Chhath puja 2022 date
Written By
Last Modified: गुरुवार, 27 अक्टूबर 2022 (10:43 IST)

छठ पूजा कब है, क्या है महत्व और पूजा विधि के साथ सूर्य को अर्घ्‍य देने का तरीका

chhath puja
सूर्य आराधना का पर्व छठ पूजा महोत्सव कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी से प्रारंभ होकर सप्तमी के दिन समाप्त होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह पर्व 28 अक्टूबर से प्रारंभ होगर 31 अक्टूबर 2022 को समाप्त हो रहा है। इस दिन सूर्य पूजा के साथ ही ही सूर्य को अर्घ्‍य भी दिया जाता है और छठ माता की पूजा भी की जाती है। आओ जानते हैं इस महोत्सव का महत्व, छठ पूजा और सूर्य को अर्घ्‍य देने की विधि।
 
छठ पूजा का महत्व | Chhath puja ka mahatva: पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भारत के सूर्यवंशी राजाओं के मुख्य पर्वों से एक था। एक समय मगध सम्राट जरासंध के एक पूर्वज को कुष्ठ रोग हो गया था। इस रोग से निजात पाने हेतु राज्य के शाकलद्वीपीय मग ब्राह्मणों ने सूर्य देव की उपासना की थी। फलस्वरूप राजा के पूर्वज को कुष्ठ रोग से छुटकारा मिला और तभी से छठ पर सूर्योपासना की पूजा आरंभ हुई है।
 
महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है। पांडवों की मां कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरुप पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम था कर्ण। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने हेतु छठ पूजा की थी। इसीलिए भी छठ व्रत पूर्ण नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। श्रद्धा भाव से किए गए इस व्रत से नि:संतान को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। उपासक का जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
 
चार दिन का त्योहार chhath puja 2022: यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है। प्रथम दिन यानि चतुर्थी तिथि ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। आगामी दिन पंचमी को खरना व्रत किया जाता है और इस दिन संध्याकाल में उपासक प्रसाद के रूप में गुड-खीर, रोटी और फल आदि का सेवन करते हैं और अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं। मान्यता है कि खरन पूजन से ही छठ देवी प्रसन्न होती है और घर में वास करती है। छठ पूजा की अहम तिथि षष्ठी में नदी या जलाशय के तट पर भारी तादाद में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और उदीयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर पर्व का समापन करते हैं।
छठ व्रत की पूजा विधि । chhath puja ki vidhi:  छठ पर्व में मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है और न ही घर में साफ सफाई की जाती है। पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर भोजन किया जाता है। पंचमी को उपवास करके संध्याकाल में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। तत्पश्चात अलोना (बिना नमक का) भोजन किया जाता है। षष्ठी के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इन मंत्रों का उच्चारण करें।
 
ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
 
पूरा दिन निराहार और नीरजा निर्जल रहकर पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
 
सूर्य को अर्घ्य देने की विधि | surya ko arghya dene ka mantra vidi: अर्घ्य देने की भी एक विधि होती है। एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें। तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अर्घ्‍य ने लिए तांबे के लोटे में जल लेकर जल को सूर्य के समक्ष अर्पित करते हैं।
 
ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर:॥
ये भी पढ़ें
27 अक्टूबर को भी है भाई दूज, बहन दोपहर 12:45 तक लगा सकेंगी तिलक