मंगलवार, 11 नवंबर 2025
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Written By WD Feature Desk

Abul Kalam Azad Jayanti: अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

Maulana Abul Kalam Azad Birth Anniversary
National Education Day: हर साल 11 नवंबर को अबुल कलाम आज़ाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसका मुख्य कारण स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में राष्ट्र के शैक्षिक ढांचे के निर्माण में उनका असाधारण योगदान है। उनका योगदान इतना मौलिक और दूरदर्शी था कि भारत सरकार ने 2008 में उनके जन्मदिन को समर्पित करते हुए इस दिवस को मनाने की घोषणा की।ALSO READ: International literacy day: अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें महत्व और 2025 की थीम
 
मुख्य कारण और उनके योगदान: 
पहले शिक्षा मंत्री: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने ही स्वतंत्र भारत की शिक्षा प्रणाली की नींव रखी। उनके कार्यकाल में देश के महत्वपूर्ण शिक्षा और तकनीकी संस्थानों की स्थापना हुई, जिनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) शामिल हैं। 
शिक्षा का अधिकार: वह शिक्षा को हर नागरिक का मौलिक अधिकार मानते थे। उन्होंने 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की वकालत की। उन्होंने देश में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

साथ ही, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी जैसे सांस्कृतिक संस्थानों की स्थापना भी उनके प्रयासों से हुई। इस तरह उन्होंने देश के वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा दिया। उनका मानना था कि शिक्षा ही वह साधन है जो समाज में समानता और प्रगति ला सकता है।
 
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री, एक महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, पत्रकार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे।

यह दिवस केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए नहीं, बल्कि देश के भविष्य को आकार देने में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करने और उनके आदर्शों से प्रेरणा लेने के लिए तथा उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए पूरे भारत में इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका निधन 22 फरवरी 1958 को दिल्ली में हुआ था। उन्हें मरणोपरांत सन् 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

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