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Written By BBC Hindi
Last Modified: शनिवार, 15 जुलाई 2023 (07:57 IST)

यूपी: भारत-नेपाल बॉर्डर पर 3 हज़ार किलो टमाटर की तस्करी का क्या है मामला?

tomato
अनंत झणाणें, बीबीसी संवाददाता
Tomato : बीते कुछ दिनों से भारत में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं। टमाटर की कीमतें 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के महाराजगंज से सटे नेपाल बॉर्डर से टमाटर की तस्करी की ख़बर सामने आई है।
 
ख़बर ये भी है कि सीमा शुल्क विभाग ने टमाटर से भरे दो पिकअप ट्रक ज़ब्त किए हैं जिनमें क़रीब 3,060 किलोग्राम टमाटर थे। इस सबके बीच जब इन टमाटरों को नष्ट करने के लिए जिस पिकअप वैन में उन्हें ले जाया जा रहा था, उसे गोरखपुर के रास्ते में पुलिस ने पकड़ लिया।
 
भारत में टमाटर ऊंची कीमतों पर भले ही मिल रहे हैं। लेकिन नेपाल में इनके दाम के मुताबिक यह (भारतीय रुपये में) क़रीब 60 रुपये प्रति किलो है। यानी तस्करी वाले इन टमाटरों की कीमत क़रीब 1 लाख 83 हज़ार रुपये हुई। अब सीमा शुल्क विभाग (कस्टम) इस पूरे मामले की जांच कर रहा है।
 
तो चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे हो रही थी नेपाल के रास्ते टमाटर की तस्करी और कैसे पकड़े गए टमाटर से भरे दो पिकअप ट्रक?
 
क्या ये टमाटर खाने योग्य थे?
कस्टम विभाग की मानें तो उसने तकरीबन 3000 किलो टमाटर तस्करी होते हुए पकड़े और उनकी गुणवत्ता की जांच के लिए भेजे।
 
कस्टम कमिश्नर आरती सक्सेना ने बताया कि इस कन्साइनमेंट का कोई आयातक नहीं था और यह निर्धारित आयात के चैनल्स से नहीं आ रहा था और इसीलिए इसे इंटरसेप्ट कर पकड़ा गया। सब्ज़ी फल या किसी भी नष्ट होने वाले खाद्य पदार्थों का एक प्लांट क्वारंटीन सर्टिफिकेट होता है।
 
गुणवत्ता जांच में पकड़े गए टमाटरों को खाने के योग्य नहीं पाया गया। लिहाज़ा 8 जुलाई को उन्हें नष्ट करने का फ़ैसला लिया गया। नियमानुसार अगर इन टमाटरों को गुणवत्ता सर्टिफिकेट मिलता तो उनकी नीलामी की जाती।
 
मीडिया में आई तस्वीरें क्या बयां करती हैं?
8 जुलाई को स्थानीय मीडिया में टमाटरों को नष्ट करने का सीसीटीवी फ़ुटेज आया। इसमें महाराजगंज में बनैलिया चौराहे के पास 12।04 बजे दो पिकअप वैन टमाटर लेकर जाते हुए दिखते हैं।
 
एक अन्य सीसीटीवी फ़ुटेज में दोपहर 1।18 बजे दोनों गाड़ियां छपवा टोल प्लाज़ा को पार करके गोरखपुर की तरफ़ जाती दिखती हैं।
 
हालांकि, महाराजगंज के नौतनवा से क़रीब 8 किलोमीटर दूर संपतिहा चौकी की पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने दो पिकअप वैन को क़रीब एक घंटे के अंतराल में पकड़ लिया।
 
तो सवाल यह उठता है कि अगर इन गाड़ियों में लदे टमाटरों को नष्ट करने का आदेश था तो यह गाड़ियां इतनी देर तक सड़क पर क्यों घूम रही थीं और टमाटरों को लेकर कहाँ जा रही थीं? इसके साथ ही दो तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसमें कुचले हुए टमाटर दिख रहे हैं। एक तस्वीर शाम की है तो दूसरी रात में खींची गई है, जिनमें पिकअप वैन भी नज़र आ रही है।
 
तो क्या तस्करी वाले इन टमाटरों को बेचने की कोशिश हो रही थी?
अब यही जानने के लिए कस्टम विभाग ने जांच शुरू की है। आयुक्त आरती सक्सेना का कहना है कि हमें यह भी स्थापित करना है कि जिन नष्ट किए गए टमाटरों की तस्वीरें स्थानीय मीडिया के माध्यम से सामने आईं हैं, यह तस्करी वाले टमाटर ही हैं।
 
उनका कहना है कि इससे जुड़ी जांच में पिकअप ट्रक की तस्वीरें भी सामने आई हैं और उनके चालकों से भी पूछताछ की जाएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि ये विभाग की नहीं बल्कि निजी गाड़ियां थीं।
 
कैसे होता है भारत-नेपाल सीमा पर आयात-निर्यात?
कस्टम विभाग की कमिश्नर आरती सक्सेना का कहना है कि भारत-नेपाल सीमा पर आयात-निर्यात के निर्धारित पॉइंट बने हुए हैं, जहां से कोई भी आयातक बग़ैर एसएसआई सर्टिफिकेट के आयात नहीं कर सकता।
 
इन निर्धारित पॉइंट्स को लैंड कस्टम्स स्टेशंस (एलसीएस) कहा जाता है। लेकिन भारत-नेपाल सीमा काफ़ी बड़ी है और दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही काफ़ी होती है।
 
लखनऊ का कस्टम यूनिट उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों से लगी पूरी भारत-नेपाल सीमा की निगरानी करता है। लेकिन कस्टम विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी कुछ निर्धारित स्थानों पर ही है और वो सशस्त्र सीमा बल की तरह पूरे बॉर्डर पर नहीं मौजूद है।
 
आरती सक्सेना का कहना है कि उन्होंने मामले की एक विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है और घटना से जुड़े छह अधिकारियों का विभाग के लखनऊ मुख्यालय में तबादला कर दिया गया है। इनमें से कुछ मौक़े पर मौजूद थे।
 
महाराजगंज की मंडी में कितना महंगा है टमाटर?
महाराजगंज की नौतनवा मंडी में सब्ज़ी के थोक व्यापारी उत्तम कुमार बताते हैं कि बारिश की वजह से फ़सल चौपट होने के कारण सभी सब्ज़िया महंगी बिक रही हैं।
 
उनका कहना है कि यहां बेंगलुरु से और अमरोहा से टमाटर की सप्लाई आती है लेकिन अभी नेपाल से भी थोड़ा टमाटर आ रहा है।
 
वे कहते हैं, "अभी तो नेपाल से थोड़ा सस्ता टमाटर आ रहा है तो महाराजगंज में फिर भी कीमतें कम हैं लेकिन गोरखपुर में 2,000 रुपये से 2,500 रुपये के बीच क्रेट बिक रहा है और 100-120 रुपये प्रति किलो बेच रहे थे। किसान से जो टमाटर आ रहा है वो हम 80-90 रुपये में ले रहे हैं।”
 
नागेश प्रसाद शुक्ल पेशे से वकील हैं और नौतनवा तहसील में काम करते हैं। वे कहते हैं, "महंगाई से वो लोग परेशान हैं जो खाने में टमाटर का स्वाद लेते थे। ख़ास कर ग़रीब लोग क्योंकि अमीर तो जब टमाटर 500 रुपये प्रति किलो भी हो जाए तब भी खाएंगे।”
 
वे कहते हैं कि “अगर बारिश का यही हाल रहा तो फिर सभी सब्ज़ियां और महंगी होंगी।”
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