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Last Modified: बुधवार, 14 अगस्त 2019 (08:08 IST)

आपके घर में ये स्मेल आती हैं तो सतर्क हो जाएं

आपके घर में ये स्मेल आती हैं तो सतर्क हो जाएं - smell in home
वेरोनिक़ ग्रीनवुड, बीबीसी वर्कलाइफ
होली सैमुएल्सन जब भी अपने ऑफिस की वॉशरूम में जातीं, उन्हें हाई स्कूल के बायोलॉजी क्लास की याद आ जाती है। ऐसा कई बार हुआ, फिर उनको लगा कि वहां की गंध ही उनको अतीत में ले जाती है। वह फॉर्मल्डिहाइड के घोल में रखे गए जानवरों के नमूने की चीरफाड़ करने की याद थी।
 
फॉर्मल्डिहाइड जानवरों को सड़ने से बचाता है, लेकिन यह कैंसरकारी केमिकल है। लकड़ी के सस्ते फर्नीचरों को चिपकाने वाले गोंद में भी इसका इस्तेमाल होता है।
 
सैमुएल्सन पेशे से आर्किटेक्ट हैं। उन्होंने महसूस किया कि वह गंध शायद बाथरूम की आलमारियों से आती है। पिछले कुछ समय से वहां से फॉर्मल्डिहाइड की गंध निकल रही थी, जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था। 
 
घर की हवा कितनी साफ़?
इस तरह की स्थिति, जहां कोई अप्रिय चीज़ चुपचाप घर-दफ़्तर की हवा में घुलमिल जाती है, कोई असामान्य बात नहीं है। हम अपना 90 फ़ीसदी समय घर, दफ़्तर या स्कूल के अंदर बिताते हैं, जहां की हवा की गुणवत्ता ख़राब हो सकती है। वेंटिलेशन सही नहीं होने पर साज-सामान से निकलने वाली गैस, खाना पकाने से अलग होने कण वगैरह मिलकर हवा को ख़राब करते रहते हैं। 
 
इससे श्रमिकों की उत्पादकता घटती है। स्कूली छात्रों के नंबर और उनकी उपस्थिति कम होती है। चरम स्थितियों में "सिक बिल्डिंग सिंड्रोम" भी हो सकता है। इसमें किसी ख़ास इमारत में रहने पर सिरदर्द, गले में खराश और उल्टी आने जैसे लक्षण दिखते हैं। 
 
कुछ सकारात्मक प्रवृत्तियां भी सामने आई हैं, जैसे- बिल्डिंग कोड।  इसमें ऊर्जा बचाने और हरियाली बढ़ाने के उपायों को प्रमाणित किया जाता है और इमारत के अंदर की हवा सुधारने वाले उपायों को अंक दिए जाते हैं। यूएस ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की LEED प्रणाली ऐसी ही व्यवस्था है। 
 
ऐसी इमारतों की तादाद बढ़ रही है। अमरीका में 2006 से 2018 के बीच LEED से पंजीकृत इमारतों की संख्या 200 गुणा बढ़ी है। शोधकर्ता पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या ऐसे उपायों से इमारत की अंदरुनी हवा की गुणवत्ता सुधरेगी। 
 
नई इमारतें, नया विज्ञान
हवा की गुणवत्ता और ऊर्जा की बचत हमेशा एक साथ नहीं हो पाती। 1983 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाया था कि जिन इमारतों की खिड़कियां नहीं खुलतीं उनमें सिक बिल्डिंग सिंड्रोम का ख़तरा रहता है। 
 
1970 के दशक में ऊर्जा की बचत के लिए घरों और दफ्तरों को अधिक से अधिक बंद रखने की शुरुआत हुई थी। तब से ज़्यादा लोग बीमार पड़ने लगे। बिल्डिंग के अंदर की हवा के बारे में गंभीरता से सोचने में बहुत वक़्त लगा।
 
केमिस्ट चार्लीन बेयर ने 1980 और 1990 के दशक में सिक बिल्डिंग सिंड्रोम के शुरुआती मामलों की जांच की थी। उन्होंने एक इमारत को देखा जिसकी डिजाइन बुरी तरह बिगड़ गई थी। उस दफ़्तर के वॉशरूम हाइड्रोलिक लिफ्ट के बगल में थे, जहां स्वचालित दुर्गंधनाशक लगे हुए थे। 
 
जब भी लिफ्ट चलती थी, वहां एक निर्वात पैदा होता था, जिससे थोड़ा दुर्गंधनाशक बाहर निकल आता था।  लिफ्ट जब अगली मंजिल पर खुलती तो भी थोड़ा केमिकल बाहर आता था। 
 
वह कहती हैं, "हर फ्लोर पर उसकी गंध फैली रहती थी। यह इतना ज़्यादा हो गया था संवेदनशील लोगों को कठिनाई होने लगी थी।" "वह शुरुआती दिन थे जब हम लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि अंदर की हवा की गुणवत्ता बहुत ज़रूरी है।" तीस साल बाद अब अधिक जागरूकता है। लेकिन हवा की गुणवत्ता को अब भी सक्रियता से प्रबंधित करने की ज़रूरत है। 
 
सेहत का मामला
बेयर कहती हैं, "इमारतें डायनेमिक होती हैं, जिसे कुछ लोग नहीं समझते। उनमें सैकड़ों लोगों की छोड़ी हुई सांसें होती हैं, ड्राई-क्लीन हुए कपड़ों से निकलने वाली गैस होती हैं, डेस्क पर लगे पौधों में डली खाद होती है, जूतों की धूल होती है।"
 
"मशीनी वेंटिलेशन से अंदर की हवा को बाहर भेजा जाता है और बाहर की हवा अंदर खींची जाती है या संभव हो तो खिड़कियां खोली जाती हैं।" "गर्मी के दिनों में उमस बढ़ने से ये इमारतें फूल जाती हैं, सर्दियों में सिकुड़ जाती हैं। वे अचल नहीं रहतीं।" आंतरिक हवा के बारे में जागरूकता बढ़ने के बाद भी बीमारू इमारतें मौजूद हैं। 
 
वेंटिलेशन, दिमाग़ और शरीर
जोसेफ एलेन बिल्डिंगों की डिजाइन में हुई ग़लती को जांचने वाले पूर्णकालिक सलाहकार रह चुके हैं। सांचे या एसबेस्टस की जांच के लिए वह रूटीन चेकअप करते थे। 
 
एक बार उन्होंने एक दफ़्तर के कर्मचारियों के चेहरे के एक हिस्से में लकवा लगने या मांसपेशियों के कमजोर पड़ने के मामले बढ़ने की जांच की थी। उस मामले में इमारत की अंदरूनी हवा में लीक होने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के भूमिगत ढेर मिले थे। 
 
एलेन अब हार्वर्ड में सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर हैं। अब वह यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इमारतों की डिजाइन सुधारकर वह सेहत समस्याओं को कैसे दूर कर सकते हैं। एलेन विशेष रूप से वेंटिलेशन के विभिन्न स्तरों के संज्ञानात्मक प्रभावों का अध्ययन करते हैं। 
 
ग्रीन बिल्डिंग योजनाओं में इमारतों को कुछ डिजाइन लक्ष्य हासिल करने के अंक दिए जाते हैं, जैसे- पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों का इस्तेमाल या ऊर्जा खपत में कटौती। 
 
कुछ अंक इमारतों की आंतरिक हवा की गुणवत्ता के भी दिए जाते हैं, जिनमें वेंटिलेशन शामिल होता है। ऐसा लग सकता है कि हरित इमारतें हवा की गुणवत्ता के लिए बेहतर हों, लेकिन ज़रूरी नहीं कि यह सच हो। 
 
हरित और अन्य इमारतों की हवा की गुणवत्ता की तुलना बहुत कम लोगों ने की है। इससे भी कम लोग सेहत और उत्पादकता के साथ इसके रिश्ते की जांच कर रहे हैं। 
 
विभिन्न योजनाओं में हवा को बराबर वरीयता भी नहीं दी गई है। यदि किसी इमारत ने ऊर्जा खपत घटाकर भरपूर अंक हासिल कर लिए हैं तो यह ज़रूरी नहीं कि उसके डिजाइनर हवा की गुणवत्ता के अंक पाने की कोशिश करें। 
 
स्वस्थ हवा, स्वस्थ शरीर
एलेन ने ग्रीन ऑफिस जैसे कमरों में कर्मचारियों का संज्ञानात्मक परीक्षण किया। कुछ कमरों में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों का स्तर कम था जैसा कि कम उत्सर्जन वाली निर्माण सामग्रियों के इस्तेमाल पर होता है। कुछ कमरों में वेंटिलेशन की सुविधा बेहतर थी। 
 
परंपरागत दफ़्तरों के मुक़ाबले यहां निर्णय क्षमता और विचार परीक्षण में अधिक अंक मिले।  जहां उत्सर्जन कम था और वेंटिलेशन भी बेहतर था, वहां अंक भी सबसे बेहतर थे। 
 
सिंगापुर की हरित इमारतों और ग़ैर-हरित इमारतों के बारे में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है। हरित इमारतों में सूक्ष्म कण, बैक्टिरिया और फंगस का स्तर कम पाया गया। यहां आर्द्रता और तापमान का स्तर भी अधिक सुसंगत था। 
 
300 से ज़्यादा कर्मचारियों का इंटरव्यू लिया गया।  उनमें से जो हरित इमारतों में काम करने वाले थे उनमें सिरदर्द, खुजली और काम के दौरान थकान का ख़तरा कम था। 
 
इस अध्ययन में लंबी अवधि के स्वास्थ्य पर शोध नहीं किया गया था।  लेकिन यह एक शुरुआत है। आर्किटेक्ट होली सैमुएल्सन अब हार्वर्ड के ग्रैजुएट स्कूल ऑफ़ डिजाइन में प्रोफेसर हैं। 
 
उनके मुताबिक़ सबसे बड़ा बदलाव यह आया है कि आंतरिक सजावट, साज-सामान और पेंट के लिए ऐसा बाज़ार तैयार हुआ है जो हवा का ध्यान रखता है। दस साल पहले ऐसे विकल्प बहुत कम थे। 
 
"यह बहुत मुश्किल था। मिसाल के लिए ऐसा पेंट ढूंढ़ना जो कम कार्बनिक उत्सर्जन के दिशानिर्देशों पर खरा उतरता हो। 10 साल पहले जो नहीं मिलता था, वह अब आसानी से इस्तेमाल होता है।"
 
आसान सुधार
हरित इमारतों से निर्माण के नए युग की आशा बंधी है जो इंसान और पर्यावरण दोनों के लिए फ़ायदेमंद होंगे। वैज्ञानिक रूप से, हालांकि इस सोच में संभावनाएं हैं, लेकिन नतीजे तक पहुंचने के लिए अभी और काम करने की ज़रूरत है। 
 
एलेन का कहना है कि अच्छी हवा के लिए फैंसी या नई इमारत की ज़रूरत नहीं है। पुरानी इमारतों की थोड़ी सी देखभाल करने से वे भी बेहतर हो सकती हैं। 
 
इसका मतलब है कि मशीनी वेंटिलेशन सिस्टम को ज़्यादा चलाना और जब भी बाहर हवा साफ हो तब खिड़कियां खोल देना या फिर पुरानी वेंटिलेशन व्यवस्था को फिर से लगाना जिससे इमारत में उमस कम हो और ठंडी हवा अंदर आए। 
 
अमरीका के लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेट्री में मैकेनिकल इंजीनियर विलियम फ़िस्क कहना है कि हवा के बहाव के मौजूदा डिजाइन मानकों का पालन नहीं किया जाता है, ख़ासकर स्कूलों में। 
 
पंखों को लंबे समय तक चलाने में पैसे लगते हैं। जो बिल्डिंगें खुली खिड़की के लिए डिजाइन की जाती हैं, उनकी खिड़कियां भी बिजली बचाने के लिए बंद रखी जाती हैं और अंदर के लोगों की सेहत के साथ समझौता कर लिया जाता है। 
 
फ़िस्क कहते हैं, "सेहत सुधरने और प्रदर्शन बेहतर होने के आर्थिक फ़ायदों पर ध्यान दीजिए। इमारतों को सुधारने के ख़र्च की तुलना में वे फायदे बहुत बड़े हैं।"
 
"यदि आप कर्मचारियों के प्रदर्शन में कुछ फ़ीसदी का भी सुधार कर सकते हैं तो उसका मतलब बहुत सारा पैसा है। इसके आर्थिक फायदे की संभावनाओं को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।"
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