• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. memory
Written By
Last Modified: गुरुवार, 31 मई 2018 (14:41 IST)

20 घंटे में याद हो सकती है कोई भी नई चीज़

20 घंटे में याद हो सकती है कोई भी नई चीज़ | memory
कोई नई भाषा हो या कोई नया विषय, हमारा दिमाग़ कुछ भी याद कर सकता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कितना मुश्किल है। खासकर कि तब जब हम उस नए विषय को पहली बार देखते हैं। शोध बताते हैं कि अगर हम किसी विषय को पहली बार पढ़ रहे हैं तो हम उसे पहली बार पढ़ने के बाद से अगले 20 घंटों में सबसे ज्यादा बेहतर याद कर पाते हैं।
 
 
उस दौरान ​किसी नई जानकारी के प्रति दिमाग़ की स्पीड बहुत तेज होती है क्योंकि नई जानकारी को लेकर दिलचस्पी का स्तर और उसके प्रति दिमाग़ की प्रतिक्रिया की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। 19वीं सदी के जर्मन दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक हरमन एब्बिनगस इस अध्ययन को करने वाले वाले पहले शख्स थे कि दिमाग़ किसी नई जानकारी को किस तरह से इकट्ठा करता है।
 
 
क्या है लर्निंग कर्व?
वह लर्निंग कर्व का आइडिया लेकर आए। लर्निंग कर्व का मतलब नए हुनर और उसे सीखने में लगने वाले समय के बीच संबंध से है। इसे ग्राफ में दिखाने के लिए आपको 'जानकारी' को वाई-एक्सिस और 'समय' को एक्स-एक्सिस पर रखना होगा।
 
 
इस अध्ययन में एब्बिनगस को पता चला कि पहले कुछ घंटों के दौरान आप किसी नए विषय को पढ़ने में जितना ज्यादा समय देते हें उतनी ज्यादा जानकारी इकट्ठी करते हैं- इस तरह ग्राफ का कर्व ऊपर चढ़ता जाता है। इन दिनों, एब्बिनगस का ग्राफ यह मापने का तरीका बन गया है कि एक नए हुनर को सीखने में कितना समय लगता है। अपनी उत्पादकता को मापने के लिए कारोबारी दुनिया में इसका काफी इस्तेमाल भी होने लगा है।
 
 
जब हम कोई नई चीज़ याद करना शुरू करते हैं, तो शुरुआत के 20 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और उत्पादक होते हैं। जब हमारे अंदर किसी नई जानकारी को लेकर उत्तेजना पैदा होती है तो हमारा दिमाग़ उसके अनुसार प्रतिक्रिया करता है और ज्यादा से ज्यादा सूचना ग्रहण करता है।
 
 
समय के साथ जब बार-बार उत्तेजना पैदा होती है तो दिमाग़ की प्रतिक्रिया करने की शक्ति कम होती जाती है और तेज़ याद करने की प्रक्रिया रुक जाती है, इस फेज़ को हैबिचुएशन कहते हैं, यह ऐसा समय होता है जब हम अपनी कुशलता को धीरे-धीरे बढ़ाते जाते हैं। इसलिए जब हम कुछ नया याद करते हैं, तो उसका ज्यादातर हिस्सा जल्दी और तेज़ी से याद हो जाता है, भले ही वो कितना ​कठिन हो।
 
 
अपना याद करने का तरीका ढूंढें
अमेरिकी लेखक जोश कफ़मन ने सिखाया कि कैसे उत्पादकता को सुधारा जा सकता है। उन्हें शुरुआत दौर में तेजी से याद होने की इस दिमाग़ी ताकत पर पूरा भरोसा है। यही विश्वास उनकी किताब 'द फर्स्ट 20 आवर्स: मास्टरिंग द टफेस्ट पार्ट ऑफ लर्निंग एनीथिंग' का आधार बना।
 
 
जोश कफ़मन के अनुसार एक विषय को याद किये जा सकने वाले अलग-अलग हिस्सों में बांट दें, उसमें से ध्यान बंटाने वाली चीजें हटा दें और रोज 45 मिनट के लिए उस पर फोकस करें। आप उस विषय के विशेषज्ञ तो नहीं बनेंगे- लेकिन समय के साथ आप 20 घंटों में ठोस काम कर पाएंगे। जब आप कोई नई चीज़ सीख जाएंगे तो फिर उसमें निपुणता हासिल कर सकते हैं।
 
 
नई जानकारी याद करने का दूसरा तरीका 'पांच घंटे का नियम' है: हर दिन का एक घंटा कुछ नया याद करने के लिए रखें। पांच दिन ऐसा ही करें। अमेरिका के जनक बेंजामिन फ्रैंकलिन योजना बनाकर याद करने के इस तरीके के बहुत बड़े हिमायती थी। इस तरीके के मुताबिक़ नई जानकारी के बारे में सोचने और उसे याद करने के लिए रोज़ाना समय देना शामिल है।
 
 
जब आपको लगता है कि आप एक विषय के बारे में काफी जान चुके हैं तो नए विषय की तरफ बढ़ जाएं और इसी तरह जिंदगी भर चलते रहें। विशेषज्ञों के मुताबिक़ अगर आप पांच घंटे वाले नियम पर बने रहते हैं तो आप हर चार हफ्तों में एक नया हुनर सीख सकते हैं। यह निरंतरता और प्रेरणा पर निर्भर करता है।
 
 
याद करने के इन तरीकों को मानने वाले दुनियाभर में कई लोग हैं। यहां तक कि ओप्रा विनफ्रे, इलॉन मस्क, वॉरन बफ़ेट या मार्क ज़करबर्ग ने याद करने के इस तरीके को लेकर अपनी पसंद जाहिर की है। अगर आप लगातार जानकारी पाने के इस रास्ते पर चलना चाहते हैं तो इसमें दो बातें मायने रखती हैं: एक हमेशा याद करते रहने की इच्छा और ऐसा करने के लिए अनुशासन।
ये भी पढ़ें
पाकिस्तान के 'ग़ायब' शिया मुसलमानों की कहानी