दिलनवाज़ पाशा, बीबीसी संवाददाता
भारत में इस समय क़रीब एक दर्जन से अधिक टिड्डी दल राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और हरियाणा के इलाक़ों में सक्रिय हैं। बीती रात ये टिड्डी दल हरियाणा में थे और अब उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ रहे हैं। आज सोशल मीडिया पर गुरुग्राम, फ़रीदाबाद और दिल्ली के कुछ इलाक़ों में टिड्डी दल दिखे।
भारत के टिड्डी चेतावनी संस्थान के डिप्टी डायरेक्टर केएल गुर्जर के मुताबिक़ इस समय एक दर्जन से अधिक टिड्डी दल सक्रिय हैं जो रोज़ाना सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर तक का सफ़र तय कर रहे हैं। आम तौर पर एक टिड्डी दल में कम से कम एक करोड़ टिड्डियां होती हैं जो एक बार में दो से तीन किलोमीटर के इलाक़े में फैल कर चलती हैं।
बीबीसी से बात करते हुए डॉ. गुर्जर ने कहा, "टिड्डी अभी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों और हरियाणा के कुछ हिस्सों में हैं। सबसे ज़्यादा राजस्थान में है। अब उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों में घुसी है।"
वो कहते हैं, "टिड्डियों के दल एक किलोमीटर से तीन किलोमीटर बड़े हैं। हम नियंत्रित तो कर रहे हैं लेकिन तापमान अधिक होने की वजह से ये दल थोड़ा ज़्यादा एक्टिव हैं। अधिकतर दलों में अपरिपक्व युवा टिड्डियां हैं। हम जैसे ही नियंत्रण के लिए स्प्रे करते हैं ये उड़ जाते हैं। इसी वजह से हम सिर्फ पचास फ़ीसदी तक टिड्डों को ही नियंत्रित कर पा रहे हैं।"
केएल गुर्जर कहते हैं, "पश्चिमी हवाओं की वजह से ये दल पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं और एक दिन में सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर तक का सफ़र तय कर रहे हैं।"
गुर्जर कहते हैं, "यूपी के आगरा और बुलंदशहर की ओर ये दल बढ़े हैं लेकिन ये पश्चिमी यूपी के अन्य ज़िलों में नहीं जाएंगे, बल्कि बुलंदशहर होते हुए आगरा की ओर बढ़ेंगे।
तापमान और हवाएं बनी चुनौती
डॉ. गुर्जर कहते हैं, "तापमान और मौसम टिड्डी दलों के पक्ष में है और यही इनके नियंत्रण में सबसे बड़ी चुनौती है। अगर तापमान थोड़ा कम होता है या टिड्डी दलों की मैटाबोलिक एक्टिविटी थोड़ा कम होती है तो हम इन्हें आसानी से नियंत्रित कर सकते थे। मौजूदा पश्चिमी हवाओं का सहारा भी इन टिड्डी दलों को मिल रहा है। ये हवा की सहायता से आसानी से आगे बढ़ जाते हैं। मौसम की वजह से भी ये टिड्डी दल अति सक्रिय हैं, इस वजह से भी चुनौती आ रही है।"
टिड्डी दलों ने कुछ इलाक़ों में ब्रीडिंग भी की है जिसकी पहचान कर ली गई है। डॉ. गुर्जर कहते हैं कि दो-चार दिन पहले टिड्डी दलों ने अंडे भी दिए हैं लेकिन हमने इन सभी जगहों की पहचान कर ली है और यहां नियंत्रण कार्य किया जा रहा है।
टिड्डी दल नियंत्रण के लिए राज्यों के बीच समन्वय बनाकर काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार की साठ टीमों के अलावा राज्यों की टीमें और अग्नीशमन दल भी टिड्डियों को रोकने के अभियान में जुड़े हुए हैं।
ड्रोन का भी इस्तेमाल
टिड्डियों को रोकने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया है। डॉ. गुर्जर कहते हैं कि ड्रोन का इस्तेमाल पहली बार किया जा रहा है और अभी तक इन ड्रोन से किया जा रहा छिड़काव प्रभावी रहा है। वो कहते हैं, "ड्रोन की मदद से उन जगहों पर छिड़काव किया जा रहा है जहां पहले करना मुश्किल था। आगे और ड्रोन इस्तेमाल किए जाएंगे।"
कुछ इलाक़ों में धान की रोपाई शुरू होने वाली है और कई जगह धान रोपे जा चुके हैं। डॉ. गुर्जर कहते हैं कि इन इलाक़ों में अभी ख़तरा इतना ज़्यादा नहीं है।
वो कहते हैं, "अभी हमारा ध्यान उन जगहों पर है जहां ख़रीफ़ की फ़सल है। हम वहां नियंत्रित करने की कोशिशें अधिक कर रहे हैं। अभी 10-15 टिड्डी दल अलग-अलग जगहों पर एक्टिव हैं। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इन्हें नियंत्रित किया जाए।"
यूपी में हर ज़िले में नोडल अधिकारी नियुक्त
वहीं उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के निदेशक सोराज सिंह के मुताबिक टिड्डी दलों के हमले को देखते हुए प्रदेश के सभी ज़िलों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
यही नहीं आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत टिड्डियों की रोकथाम के लिए कोषागार से धन इस्तेमाल करने के निर्देश भी ज़िलाधिकारियों को दिए गए हैं।
सोराज सिंह के मुताबिक़ किसानों को शोर मचाकर, ढोल नगाड़े और टिन के डिब्बे बजाकर टिड्डियों को भगाने की सलाह भी दी गई है। सभी प्रभावित ज़िलों में रात 11 से सुबह सात बजे के बीच टिड्डी नियंत्रिण कार्य करने के आदेश भी दिए गए हैं।
टिड्डियां दिन में उड़ान भरती हैं और रात में विश्राम करती हैं। जब टिड्डी दल विश्राम करते हैं तब छिड़काव करके नियंत्रण कार्य किया जाता है।
सोराज सिंह के मुताबिक शनिवार को उत्तर प्रदेश झांसी, जालौन, अलीगढ़, संत कबीरनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर और गोरखपुर जनपदों में टिड्डी दल उड़ान पर थे। उत्तर प्रदेश में कई बड़े टिड्डी दलों के अलावा छोटे-छोटे दल भी सक्रिय हैं।