- नितिन श्रीवास्तव
भारतीय टीम पहले ही सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई कर चुकी है इसलिए कोहली की टीम अब श्रीलंका से हारने की चिंता नहीं करेगी, लेकिन हेडिंग्ले क्रिकेट ग्राउंड में मैच के पहले होने वाली टीम घोषणा में नज़र रविंद्र जडेजा और मयंक अग्रवाल पर रहेगी। जी हां, फ़िलहाल इंग्लैंड में जारी विश्व कप में भारतीय टीम में यही दो खिलाड़ी हैं जिन्हें अभी तक खेलने का मौक़ा नहीं मिला है।
रविंद्र जडेजा तो शुरू से टीम का हिस्सा रहे हैं लेकिन मयंक अग्रवाल को पिछले हफ़्ते ही टीम में शामिल करने के लिए भारत से बुलाया गया है। कोच रवि शास्त्री और विराट कोहली के ज़हन में अब सिर्फ़ सेमीफ़ाइनल की रणनीति पर ही कश्मकश चल रही होगी। रवि शास्त्री के लिए और भी क्योंकि 2019 की तरह ही 2015 के आस्ट्रेलिया विश्व कप में भी टीम इंडिया ने लीग गेम्स में ऐसा ही बेहतरीन प्रदर्शन किया था लेकिन सेमीफ़ाइनल में मेज़बान टीम ने उसे धूल चटा दी थी। रवि शास्त्री ने बतौर कोच सिडनी के ड्रेसिंग रूम से उस हार को बहुत क़रीब से देखा और महसूस किया हुआ है।
रोहित शर्मा पर ज़िम्मेदारी : इसलिए भारतीय टीम इस बारे में सोच सकती है कि रविंद्र जडेजा और मयंक अग्रवाल को एक मैच की प्रैक्टिस दे दी जाए जिससे अगर बड़े नॉकआउट गेम्स में खेलने की ज़रूरत पड़ी तो उन पर अनावश्यक तनाव या प्रेशर न रहे। साथ ही दिनेश कार्तिक को भी एक और मौक़ा मिल सकता है अपने को साबित करने का। इसके अलावा, भारतीय टीम की कुछ परेशानी बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी डिपार्टमेंट में भी है। सेमीफ़ाइनल तक के सफ़र में टीम के लिए अच्छी बात ये रही है कि रोहित 'हिटमैन' शर्मा बेहतरीन फ़ॉर्म में हैं। हालांकि शिखर धवन के चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद से रोहित की बल्लेबाज़ी पर ज़िम्मेदारी का दबाव भी दिखा है।
लेकिन जब-जब रोहित को नए ओपनिंग पार्टनर राहुल का समर्थन मिला, रोहित ने खुल कर लंबी पारियाँ खेली हैं। कप्तान कोहली भी लगभग हर मैच में पचास रन कर रहे हैं, भले ही वे अपने सबसे बेहतरीन फ़ॉर्म से कोसों दूर हों। ऋषभ पंत को टीम में जगह देने की नीति भी कारगर रही है और बतौर ओपनर राहुल ने शिखर की तरह धुआंधार पारी तो नहीं खेली है, लेकिन उन्होंने एकाएक सौंपी गई इस ज़िम्मेदारी को निभाया है। अब सवाल एमएस धोनी पर आता है, जो आज भी दुनिया के बेहतरीन विकेटकीपरों में शामिल हैं।
इस विश्व कप में धोनी ने कई दफ़ा बल्लेबाज़ी को ठोस सहारा दिया है, लेकिन उनके शॉट्स में वो धार बिलकुल भी नहीं दिखी है जिसके लिए धोनी 'द फ़िनिशर' मशहूर रहे हैं। उनकी लगभग सभी पारियां धीमी रहीं हैं, भले ही वे एक अहम समय में खेली गई हों। उनके फ़ेमस 'हेलीकॉपटर शॉट' की छोड़िए, कुछ मैचों में तो उन्हें सिंगल्स लेने के लिए भी जद्दोजहद करते देखा गया है, लेकिन इसके बावजूद धोनी से टीम को भरपूर सहयोग की ज़रूरत है क्योंकि वो बड़े मैच प्लेयर हैं और विश्व कप सेमीफ़ाइनल जैसे हाई-प्रेशर गेम के लिए आज भी सबसे उपयुक्त और तजुर्बे वाले खिलाड़ी हैं।
अब सवाल ये है कि बल्लेबाज़ी में और किस-किस से उम्मीद की जाए। हार्दिक पंड्या ने कुछ मैचों में फ़ॉर्म तो दिखाया लेकिन कुछ में निराशा भी। केदार जाधव और दिनेश कार्तिक को न बड़े मौक़े मिले हैं और न ही उन्होंने धारदार बल्लेबाज़ी की है। इन सभी समीकरणों को देखते हुए टीम इंडिया रविंद्र जडेजा और मयंक अग्रवाल को श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक मौक़ा देने के बारे में सोच सकती है। रहा सवाल गेंदबाज़ी का तो इस विश्व कप पर भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने अपनी ख़ास छाप छोड़ी है।
बुमराह और मोहम्मद शमी ने तो कई गेम ही जिताए हैं, जबकि चोट के बाद से भुवनेश्वर कुमार की वापसी भी अच्छी रही है। इंग्लैंड के मौसम और हवा में गेंद के मूवमेंट को देखते हुए इन तीनों की अगले सभी मैचों में टीम को ज़रूरत पड़ेगी। हां, स्पिन विभाग फ़िलहाल थोड़ा चिंता का विषय ज़रूर है क्योंकि चहल के अलावा किसी दूसरे स्पिनर की गेंदबाज़ी में न तो विविधता दिखी है और न ही बड़े विकट लेने की क्षमता। हालांकि श्रीलंका के ख़िलाफ़ मैच में चहल को आराम देकर कुलदीप यादव को लाया जा सकता है। जबकि इस विश्व कप में अफ़ग़ानिस्तान तक ने अपनी स्पिन गेंदबाज़ी का लोहा मनवा लिया है।
भारत का सेमीफ़ाइनल या तो इंग्लैंड या न्यूज़ीलैंड जैसी मज़बूत टीम से पड़ने की उम्मीद की जा रही है। इसलिए लीड्ज़ में शनिवार को होने वाले मैच में टीम इंडिया इन सभी बातों को ग़ौर करने के बाद ही प्लेइंग इलेवन चुनेगी। उधर इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त प्रदर्शन करने के अलावा श्रीलंका ने इस विश्व कप में कुछ ख़ास नहीं किया है और वे सेमीफ़ाइनल रेस के बाहर हैं। उनके चीफ़ कोच, चंडिका हथुरुसिंघा बातचीत में कहा, हमारी टीम में विश्व कप आने से पहले कई बार बदलाव हुए जिससे स्थिरता नहीं आ सकी। उस सबके बावजूद हम अगर कुछ मैच जीत कर वापस जाएंगे तो अच्छा रहेगा।
आप जब भी देश के लिए खेलते हैं तो गर्व की बात होती है और हम पूरी कोशिश करेंगे इस अंतिम मैच को जीतने की। ज़ाहिर है, अगले कुछ दिनों में कोलंबो की फ़्लाइट लेने के पहले वे लोग अपने समर्थकों के लिए कुछ तो करके जाने का मंसूबा रखते होंगे। सिलसिलेवार हारों के ज़ख़्मों से जूझ रही श्रीलंकाई टीम के लिए भारत को हराने से बेहतर मरहम क्या हो सकता है। इंग्लैंड की धरती पर इन दोनों टीमों के बीच पिछला मुक़ाबला 2017 की चैंपियंस ट्रॉफ़ी के समय हुआ था, जब श्रीलंका ने भारत के 321 रनों के लक्ष्य को सिर्फ़ तीन विकेट गंवाकर पूरा कर लिया था।
लेकिन अब जब इस प्रतियोगिता में श्रीलंका के लिए सभी दरवाज़े बंद हो चुके हैं तो उनकी टीम का मनोबल भी गिरा दिख रहा है। शायद यही वजह है कि शुक्रवार को हेडिंग्ली ग्राउंड पर उनकी आधी टीम ही नेट्स पर अभ्यास करने पहुंची। सभी समीकरणों पर ग़ौर करने के बाद टीम इंडिया इस अंतिम स्टेज पर मैच को जीतना चाहेगी और ये उम्मीद करेगी कि दक्षिण अफ़्रीका आख़िरी गेम में ऑस्ट्रेलिया को हरा दे। इसी सूरत में भारतीय टीम अंक तालिका में टॉप कर सकती है और चौथे स्थान पर आने वाली टीम से भिड़ंत हो सकेगी।