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यदि आपके घर के मंदिर में शिखर है, तो यह अवश्य पढ़ें

यदि आपके घर के मंदिर में शिखर है, तो यह अवश्य पढ़ें - temple in home according to vastu
घर में स्थापित मंदिर में गुंबद या शिखर कतई ना बनाएं, जानिए क्यों
 
अक्सर आपने पूजाघरों में लकड़ी या संगमरमर के मन्दिर देखे होंगे। शायद आपके पूजाघर में भी ऐसा मन्दिर होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजाघर में बनाए गए मन्दिरों में गुम्बद या शिखर बनाना शास्त्रानुसार निषिद्ध है। यदि नहीं तो आज हम आपको घरों में बनाए या रखे जाने वाले मन्दिरों के विषय में अति-महत्त्वपूर्ण जानकारी देंगे।
 
शास्त्रानुसार पूजाघर के अन्दर रखे जाने वाले मन्दिरों में गुम्बद या शिखर नहीं होना चाहिए क्योंकि जिन मन्दिरों में गुम्बद या शिखर बनाया जाता है उनमें उस गुम्बद या शिखर पर कलश व ध्वजा चढ़ाना अनिवार्य होता है। हमारी वैदिक परम्परा में हमारे मन्दिरों के कलश व ध्वजा को मुक्ताकाश अर्थात् खुले आसमान के नीचे होना आवश्यक है। मन्दिर के कलश व ध्वजा के ऊपर छत इत्यादि का होना शास्त्रानुसार निषिद्ध है। 
 
वैदिक परम्परा के अनुसार कलश व ध्वजा की तुलना में उससे ऊंचा कुछ भी नहीं होना चाहिए, इसीलिए हमारे प्राचीन मन्दिरों का परिसर बहुत विशाल हुआ करता था और मन्दिर उस परिसर के ठीक मध्य में होता था। ऐसा इसलिए क्योंकि वैदिक परम्परा में जहां तक मन्दिर के कलश व ध्वजा के दर्शन होते रहते हैं उतना क्षेत्र धर्मक्षेत्र के अन्तर्गत आता है। 
 
ऐसी मान्यता है कि उस क्षेत्र में परमात्मा का प्रभामण्डल अधिक सक्रिय रूप में उपस्थित होता है। सनातन धर्मानुसार यदि किसी मन्दिर के केवल कलश व ध्वजा का दर्शन कर प्रणाम कर लिया जाए तो मन्दिर जाने का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है। इसलिए घरों के पूजाघर में बने या रखे मन्दिरों में गुम्बद, शिखर, कलश व ध्वजा का लगाया जाना निषिद्ध है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com