शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
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शनि देव ने बदल दी है चाल, वक्री शनि से कैसा होगा 12 राशियों का हाल

शनि देव ने बदल दी है चाल, वक्री शनि से कैसा होगा 12 राशियों का हाल - shani vakri
शनि देव 11 मई 2020 को सुबह 9:09 पर अपनी स्वराशि मकर में वक्री हो गए हैं। उसके बाद 29 सितंबर 2020 शनि देव अपने पिता के नक्षत्र उत्तराषाढ़ के चतुर्थ चरण में वक्री होंगे। 29 सितंबर 2020 उत्तराषाढ़ दूसरे चरण में मार्गी होंगे।
 
इस प्रकार शनि 4 माह 18 दिनों के लिए वक्री गति से चलेंगे। शास्त्र कहता है जब कोई पापी ग्रह वक्री चलता है तो उसके प्रभाव पृथ्वी पर अत्यधिक देखने को मिलते हैं।
 
 शनि देव सूर्य देव और छाया की संतान हैं। शनि देव न्याय के देवता कहे गए हैं। पृथ्वी पर शनि को श्रमिक, निर्माण कार्य, लोहा, रसायन,  द्रव्य का कारक माना गया है। शास्त्र कहता है शनि अच्छे काम वाले के साथ अच्छा फल व बुरे काम वाले के साथ बुरा फल देता है।
 
शनि वक्री होने के कारण पृथ्वी में श्रमिक और प्रायवेट जॉब में असंतोष बढेगा। शनि से सम्बंधित कार्य में गिरावट दिखेगी,रोग से भय की स्थिति बनेगी। वक्री शनि से कैसा होगा 12 राशियों का हाल ....
 
मेष:- व्यवधान, खर्च की स्थिति बढ़ेगी,पिता के स्वास्थ्य में परेशानी बढ़ेगी |
 
वृष :- धर्म के प्रति रुचि बढ़ेगी, भाग्य का साथ मिलेगा।
 
मिथुन :- रोग में वृद्धि के योग,वाणी का सावधानी से उपयोग करें।
 
कर्क :- जीवन साथी के साथ मतभेद की स्थिति बनेगी।
 
सिंह :- कर्ज में वृद्धि होगी, शत्रु भी बढ़ेंगे। शासन के साथ व्यर्थ ना लड़े।
 
कन्या :- संतान योग बनेंगे,आकस्मिक धन लाभ के योग बनेंगे।
 
तुला :- मकान वाहन के योग,माता द्वारा लाभ,कार्य क्षेत्र में तरक्की।
 
वृश्चिक :- मित्रों से विवाद हो सकता है, सफलता के लिए अत्यधिक परिश्रम करना पड़ेगा।
 
धनु :- वाणी पर ध्यान दें, परिवार में विवाद, पेट की समस्या, पैर में चोट के योग।
 
मकर :- मन अशांत रहेगा,जीवन साथी के साथ भी मन मुटाव के योग बनेंगे।
 
कुंभ :- व्यय के योग बनेंगे, आलसी बनेंगे, न्यायालय संबंधी परेशानी बढ़ेगी।
 
मीन :- बड़े भाई बहन से लाभ मिलेगा, व्यापार में उन्नति,धन लाभ के योग बनेंगे।
 
शनि शांति के उपाय 
 
पीपल के पेड़ पर सूर्यास्त के बाद सरसों के तेल का दिया 
दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ
हनुमान जी की आराधना 
पुरानी लोहे की नाव से बनी अंगूठी 
 
अंकित नारायण व्यास।
(खगोल एवं ज्योतिष शोध संस्थान)
ज्योतिषशास्त्र ।। वास्तुशास्त्र ।। अंकविज्ञान।। रत्नविज्ञान ।।