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Pushya Nakshatra 2023: कब आ रहा है खरीदी का पुष्य नक्षत्र?

Pushya Nakshatra 2023: कब आ रहा है खरीदी का पुष्य नक्षत्र? - Ravi pushya nakshatra kab hai
Ravi Pushya Yoga 2023 Muhurat: धनतेरस और दिवाली के पहले आने वाले पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ माना जाता है। इसे कार्तिक पुष्य नक्षत्र कहते हैं। इस नक्षत्र में धनतेरस और दिवाली की अधिकांश खरीदारी कर ली जाती है। यदि आप भी पुष्य नक्षत्र में त्योहार की खरीदी करना चाहते हैं तो जानिए कि नवंबर में कब पड़ रहा है यह नक्षत्र और इसी दिन के क्या रहेंगे शुभ मुहूर्त।
 
2023 में पुष्य नक्षत्र कब पड़ रहा है?
पुष्य नक्षत्र का प्रारंभ : 4 नवंबर 2023 सुबह 07:57 से...
पुष्य नक्षत्र का समापन : 5 नवंबर 2023 सुबह 10:29 तक।
 
नोट : आप शनिवार पूरे दिन और रविवार को सुबह 10:29 तक खरीदारी कर सकते हैं। वैसे 5 नवंबर 2023 रविवार के दिन का पुष्य नक्षत्र शुभ बताया जा रहा है।
 
4 नवंबर 2023 के शुभ मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:42 से दोपहर 12:26 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 01:54 से दोपहर 02:38 तक।
त्रिपुष्कर योग : सुबह 06:35 से 07:57 तक।
रवि योग : सुबह 06:35 से 07:57 तक।
शनि पुष्य योग : 07:57 के बाद पूरे दिन और रात
5 नवंबर 2023 के शुभ मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:43 से दोपहर 12:26 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 01:54 से दोपहर 02:38 तक।
रवि पुष्य योग : प्रात: 06:36 से सुबह 10:29 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग : प्रात: 06:36 से सुबह 10:29 तक।
पुष्य नक्षत्र का महत्व- Importance of Pushya Nakshatra:
पुष्य नक्षत्र का शुभ योग हर महीने में बनता है। पुष्य नक्षत्र स्थायी होता है़ अत: इस नक्षत्र में खरीदी की गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक उपयोगी रहती है तथा शुभ फल प्रदान करती है। पुष्य नक्षत्र पर बृहस्पति (गुरु), शनि और चंद्र का प्रभाव होता है इसलिए सोना, चांदी, लोहा, बही खाता, परिधान, उपयोगी वस्तुएं खरीदना और बड़े निवेश करना इस नक्षत्र में अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं जिसका कारक सोना है। स्वामी शनि है अत: लोहा और चंद्र का प्रभाव रहता है इसलिए चांदी खरीदते हैं। स्वर्ण, लोहा या वाहन आदि और चांदी की वस्तुएं खरीदी जा सकती है। 
 
वर्ष के सभी पुष्य नक्षत्रों में कार्तिक पुष्य नक्षत्र (Kartik pushya nakshatra) का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका संबंध कार्तिक मास के प्रधान देवता भगवान लक्ष्मी नारायण से है। इसीलिए दिवाली पूर्व आने वाला पुष्य नक्षत्र सबसे खास और अत्यंत लाभकारी माना जाता है। भारतीय संस्कृति पूर्ण रूप से प्रकृति से जुड़कर दैनिक प्रक्रिया करने की सलाह देती है। पुष्य को ऋग्वेद में वृद्धिकर्ता, मंगलकर्ता, एवं आनंदकर्ता कहा गया है।
 
पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी दिन या वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। यदि यह नक्षत्र रविवार, बुधवार या गुरुवार को आता है, तो इसे अत्यधिक शुभ माना गया है। इस नक्षत्र के गुरु-पुष्य, शनि-पुष्य और रवि-पुष्य योग सबसे शुभ माने जाते हैं। चंद्र वर्ष के अनुसार महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ संयोग करता है। अत: इस मिलन को अत्यंत शुभ कहा गया है। पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अतिविशिष्ट, सर्वगुण संपन्न और भाग्यशाली होते हैं।

 
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