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Written By WD Feature Desk

शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व

शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व - importance of pradosh vrat
HIGHLIGHTS
• शुक्रवार के दिन पड़ने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है।
• यह व्रत हर कार्य में सफलता दिलाता है।
• शुक्र प्रदोष व्रत सुख-सौभाग्य और दांपत्य जीवन में खुशहाली लाता है। 

Today pradosh vrat : वर्ष 2024 में 8 मार्च, दिन शुक्रवार को महाशिवरात्रि का व्रत मनाया जा रहा है। इसी दिन प्रदोष व्रत आने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत भी किया जाएगा। इस बार फाल्गुन अमावस्या के ठीक पहले प्रदोष व्रत रखा जा रहा है, जो कि बहुत खास है, क्योंकि इसी दिन महाशिवरात्रि और प्रदोष यह दोनों दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित व्रत है। इस दिन भगवान शिव का पूजन-आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
आइए यहां जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत के बारे में-
 
पूजा विधि: 
  • शुक्र प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारियों को प्रात: नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर शिव जी का पूजन करना चाहिए। 
  • पूरे दिन निराहार रहना चाहिए। 
  • दिनभर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करना चाहिए। 
  • तत्पश्चात सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करना चाहिए।
  • नैवेद्य में सफेद मिठाई, घी एवं शकर का भोग लगाएं।
  • तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। 
  • इसके बाद नंदीश्वर/ बछड़े को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें।
  • शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें। 
  • अंत में शिव जी की आरती के बाद प्रसाद बांटें।
  • तत्पश्चात भोजन ग्रहण करें।
  • मंत्र- 'शिवाय नम:'। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्। ॐ आशुतोषाय नमः। प्रदोष व्रत के दिन उपरोक्त किसी भी मंत्र का जाप 108 बार कम से कम करें।
 
महत्व- हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रतिमाह आने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे बड़ा दिन होता है। इस प्रदोष काल में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल में पूजा करने से भगवान शिव जी जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

मान्यतानुसार प्रदोष काल शाम को सूर्यास्त के करीब 45 मिनट पहले से आरंभ हो जाता है। कहते हैं कि प्रदोष काल में की गई पूजा का फल शीघ्र मिलता है। जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होकर धन और संपदा मिलने के योग बनते हैं और हर कार्य में सफलता भी मिलती है। 
 
इस बार शुक्रवार को शुक्र प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले व्रत को ही शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन यह व्रत करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य तथा ऐश्वर्य प्राप्ति का वरदान मिलता है। धर्मग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है।

यह प्रदोष सूर्यास्त से लगभग 1 घंटा पहले का समय होता है, जो प्रदोष काल कहलाता है और यह व्रत करने से भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त की जा सकती है। इससे जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रह जाता है। इतना ही नहीं, समस्त आर्थिक संकटों के समाधान के लिए हर व्यक्ति को प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। 
 
इस दिन शिव चालीसा और शिवाष्टक का पाठ करना अतिलाभकारी है। शिव-पार्वती, श्रीविष्णु जी की आराधना करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीष मिलता है। इस व्रत को रखने वाले भक्तों के जीवन से दु:ख-दरिद्रता दूर होकर धन, सुख और समृद्धि मिलती है, ऐसा इस व्रत का महत्व है। 
 
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