अर्धोदय योग : एक दुर्लभ और विशेष मुहूर्त जो इस बार नहीं बन पा रहा है....
इस मुहूर्त में किया गया दान देता पृथ्वी दान का फल-
हमारे सनातन धर्म में दान का विशेष महत्त्व होता है। सनातन धर्मानुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए दान करना अनिवार्य है। हिन्दू परम्परा में तो अपने शुद्ध लाभ का दशांश दान करे बिना उसे ग्रहण करना चोरी करने के समान माना गया है।
यथासंभव व यथासामर्थ्य अनुसार सभी को दान करना चाहिए। दान के लिए वैसे तो सभी दिन व समय शुद्ध होते हैं किंतु शास्त्रानुसार कुछ ऐसे भी मुहूर्त आते हैं जब किया गया दान अनंत गुना होकर अक्षय फलदायी होता है। आज हम वेबदुनिया के पाठकों को ऐसे ही एक दुर्लभ मुहूर्त के बारे में जानकारी देने जा रहे है। इस दुर्लभ मुहूर्त में किया गया दान पृथ्वी-दान के समान माना गया है।
क्या है वह दुर्लभ मुहूर्त-
जब माघ कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन रविवार हो तथा इस दिन व्यतिपात योग के साथ श्रवण नक्षत्र हो तो इस योग को अर्धोदय योग कहा जाता है। शास्त्रानुसार इस अर्धोदय योग में दान करने से पृथ्वी दान का फल मिलता है। यह दान त्रिदेवों अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश के निमित्त किया जाता है। इस दुर्लभ मुहूर्त में दान करने वाले दानदाता के लिए यह आवश्यक है कि वह जो भी दान दे उसे तीन की मात्रा में करें। इस दुर्लभ मुहूर्त में चांदी के पात्र में खीर भरकर विप्र को दान देने का विशेष महत्व होता है।
क्या इस वर्ष बनेगा अर्धोदय योग-
इस वर्ष माघ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को श्रवण नक्षत्र है किन्तु दिन सोमवार व योग सिद्धि होने से वर्ष 2019 में अर्धोदय योग नहीं बन रहा है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
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