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Last Modified: लखनऊ , शनिवार, 23 दिसंबर 2017 (15:16 IST)

यूपी की राजनीति में छा गए योगी आदित्यनाथ

यूपी की राजनीति में छा गए योगी आदित्यनाथ - Yogi Adityanath, BJP and 2017
लखनऊ। देश के राजनीतिक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य उत्तरप्रदेश में साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी कदम-दर-कदम विजय चूमती रही और साल के शुरू में विधानसभा चुनावों के साथ जीत का जो सिलसिला उसने शुरू किया था, वर्षांत में नगर निकाय चुनावों तक वह कायम रहा। वर्ष 2017 का साल उत्तरप्रदेश में भाजपा के लिए स्वर्णिम अध्याय  लिखने वाला रहा।
 
इसी वर्ष महेन्द्रनाथ पाण्डेय के रूप में भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला। पाण्डेय चंदौली लोकसभा सीट से सांसद हैं। उनसे पहले केशव प्रसाद मौर्य भाजपा प्रदेश अध्यक्ष थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मदद के लिए 2 उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा मिले। योगी, मौर्य और शर्मा तीनों इस समय विधान परिषद सदस्य हैं। वर्ष 2017 विरोधी पार्टियों के विधायकों के भाजपा में शामिल होने का भी प्रत्यक्षदर्शी बना।
 
साल की शुरुआत में हुआ विधानसभा चुनाव भाजपा ने अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर लड़ा और राज्य के राजनीतिक इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया। भाजपा कुल 384 सीटों पर लड़ी जिसमें से उसे 312 सीटों पर जीत मिली। केवल 5 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं, जहां भाजपा प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। पार्टी का मत प्रतिशत (जिन सीटों पर वह लड़ी) 41.57 फीसदी रहा।
 
भाजपा और उसके सहयोगियों ने 403 सदस्यीय विधानसभा में 325 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने 9 और भारतीय समाज पार्टी (सुहेलदेव) ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की। उत्तरप्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो उसका मत प्रतिशत 41.57 फीसदी रहा, जो 2012 में 15.21 फीसदी ही था, जब भाजपा केवल 47 सीटें ही जीत सकी थी।
 
पूर्व के चुनावों के विपरीत इस बार भाजपा ने घोषणापत्र नहीं बल्कि लोक कल्याण संकल्प पत्र जारी किया। इसमें पार्टी के सत्ता में आने की स्थिति में किए जाने वाले कार्यों और योजनाओं का उल्लेख था। सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने अयोध्या और मथुरा-वृंदावन को नगर निगम बनाने का फैसला किया। 3 चरणों में हुए नगर निकाय चुनावों में भाजपा का दमदार प्रदर्शन रहा। महापौर की 16 में से 14 सीटें भाजपा की झोली में गईं। इनमें लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर की महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं।
 
वाराणसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है जबकि लखनऊ से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सांसद हैं। गोरखपुर योगी का क्षेत्र रहा है। इस वर्ष के मेयर चुनावों में लखनऊ को 100 साल में पहली बार महिला महापौर मिलीं। अयोध्या तथा मथुरा-वृंदावन को भी पहला महापौर भाजपा का मिला। भाजपा के महापौर प्रत्याशी अलीगढ़ और मेरठ में हारे, जहां बसपा ने उसे पराजित किया।
 
राज्य में कुल 1,300 पार्षदों में से 596 भाजपा के बने। नगर पालिका परिषद के चेयरमैन की बात करें तो 198 सीटों में से 70 पर भाजपा जीती। नगर पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावों में 438 में से 100 सीटें भाजपा के हिस्से गईं। विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने के साथ ही योगी प्रदेश के लगातार तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री बन गए, जो उच्च सदन के सदस्य हैं। (भाषा)
 
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