मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. योगा टिप्स
  4. Yoga for Disciplin
Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : शनिवार, 21 अगस्त 2021 (19:00 IST)

कैसे करें योग से अपने टार्गेट को फोकस और बनें लीडर

कैसे करें योग से अपने टार्गेट को फोकस और बनें लीडर - Yoga for Disciplin
जीवन में लक्ष्य या कोई टार्गेट नहीं डिसाइड किया है तो फिर भविष्य भी अन्सर्टन होगा। लाइफ में टार्गेट पर फोकस होना जरूरी है। योग से यह फोकस बढ़ाया जा सकता है। यदि कोई गोल और उस गोल पर फोकस नहीं है तो हम जीवन में कुछ भी अचीव नहीं कर पाते हैं। आ जानते हैं कि योग से कैसे होगा यह संभव।
 
 
1. अनुशासन मुद्रा की विधि- बिल्कुल साधारण सी विधि है। अनुशासन मुद्रा को पद्मासन, समपाद या सुखासन में बैठकर अपनी तर्जनी अंगुली को बिल्कुल सीधा कर दें। बाकी बची हुई तीनों अंगुलियों को अंगूठे के साथ मिला लें। इस मुद्रा को अनुशासन मुद्रा कहते हैं।
 
समय- प्रारंभ में इस मुद्रा को प्रतिदिन 5 से 8 मिनट करें। फिर 1 महीने तक इसके अभ्यास का 1-1 मिनट बढ़ाते जाएं।
 
 
परिणाम और लाभ- जीवन में गोल डिसाइड करने या फोकस बढ़ाने के लिए अनुशासन की जरूरत होती है। इस मुद्रा को करने से व्यक्ति अनुशासन में रहना सीख जाता है। अनुशासन मुद्रा को करने से नेतृत्व करने की शक्ति बढ़ती है। इससे कार्य क्षमता का विकास होता है तथा व्यक्ति में नेतृत्व की शक्ति जाग्रत होने लगती है। अनुशासन मुद्रा सफलता का सूत्र है। ये मुद्रा एक्यूप्रेशर चिकित्सकों अनुसार रीढ़ की हड्डी पर असर करती है और व्यक्ति अपने आप में नई जवानी को महसूस करता है।
 
 
सावधानी- किसी की तरफ अंगुली उठाकर बात ना करें, इससे अनुशासन भंग होता है। अनुशासन मुद्रा को एक बार में ज्यादा लंबे समय तक न करें। अंगुली को जबरदस्ती ताने नहीं। 
 
2. प्रत्याहार : योग के पांचवें अंग प्रत्याहार को अंग्रेजी में Withdrawal कह सकते हैं, लेकिन यह शब्द उचित नहीं है। फिर भी समझने के लिए यह जरूरी है। इंद्रियों को वापस मन में खिंच लेना ही प्रत्याहार है। यह ठीक वैसा ही है जैसे की कोई चीता शिकार के पहले स्वयं को कुछ कदम पीछे हटाता और फिर शिकार पर ध्यान केंद्रित करता है, तब बस कुछ सेकंड में शिकार उसकी गिरफ्त में होता है।
 
 
क्यों नहीं होता है फोकस : आंख रूप को, नाक गंध को, जीभ स्वाद को, कान शब्द को और त्वचा स्पर्श को भोगती है। भोगने की इस प्रवृत्ति की जब अति हो जाती है तो मन विचलित रहने लगता है। ये भोग जैसे-जैसे बढ़ते हैं, इंद्रियां सक्रिय होकर मन को विक्षिप्त करती रहती हैं। एकाग्रता छोड़कर 'मन' ज्यादा व्यग्र तथा व्याकुल होने लगता है, जिससे हमारी मानसिक और शारीरिक शक्ति का क्षय होता है।
 
क्या है प्रत्याहार : भोग, संभोग, क्रोध, भय, कल्पना, विचार और व्यर्थ की चिंताओं की ओर जो इंद्रियाँ निरंतर गमन करती रहती हैं, उनकी इस गति को रोककर भीतर मन को स्थिर करना ही प्रत्याहार है। जिस प्रकार कछुआ अपने अंगों को समेट लेता है उसी प्रकार इंद्रियों को इन घातक वासना और नकारात्म विचार से अलग कर अपनी आंतरिकता या लक्ष्य की ओर मोड़ देने का प्रयास करना ही प्रत्याहार है।
 
 
कैसे करें प्रत्याहार : इंद्रियों को भोगों से दूर कर उसके रुख को भीतर की ओर मोड़कर स्थिर रखने के लिए प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। प्राणायाम के अभ्यास से इंद्रियां स्थिर हो जाती है। अतः प्राणायाम के अभ्यास से प्रत्याहार की स्थिति अपने आप बनने लगती है। दूसरा उपाय है प्रतिदिन मॉर्निंग और इवनिंग में पांच से तीस मिनट का ध्यान करें। इस सबके बावजूद यदि आपके भीतर संकल्प है तो आप संकल्प मात्र से ही प्रत्याहार की स्थिति में हो सकते हैं।
 
 
फायदे : संकल्प और प्राणायाम से हमारा मन वन डायमेंशनली होता है। इससे व्यक्ति का एनर्जी लेवल बढ़ता है। पवित्रता के कारण ओज (Vigor) या ओरा में निखार आता है। किसी भी प्रकार के रोग शरीर और मन के पास फटकते तक नहीं हैं। आत्मविश्‍वास और विचार क्षमता बढ़ जाती है, जिससे दृड़ता आती है। दृड़ता ही लक्ष्य को भेदने और नेतृत्व क्षमता बढ़ाने की ताकत रखती है।
ये भी पढ़ें
विभाजन की विभीषिका को याद करने का मकसद क्या है?