योग के अंग संचालन को सूक्ष्म व्यायाम भी कहा जाता है। आजकल इसे योगा एक्सरसाइज कहते हैं। अंग संचालन या योगासन तीन तरीके से करते हैं- A.बैठकर B.लेटकर और C.खड़े रहकर। बैठकर किए जाने वाले की शुरुआत दंडसन से, लेटकर किए जाने वाले की शुरुआत शवासन और मकरासन से और खड़े रहकर किए जाने वाले अंग संचालन की शुरुआत ताड़ासन या नमस्कार मुद्रा से।
दंडासन में दोनों पैरों को सामने की तरफ सीधा रखा जाता है। कमर से हाथों को सटाकर और हथेलियों को भूमि पर जमा देते हैं। कमर और हाथ को सीधा रखा जाता है। फिर क्रमश: पैर के पंजे, एड़ी, घुटनें, नितंब, पेट, पीठ, हाथ के पंजे, कोहनी, छाती, कंधा, गर्दन और आंखों की एक्सरसाइज़ की जाती है। शवासन, मकरासन और सावधान पोश्चर के बारे में सभी जानते हैं।
1.पंजे एवं एड़ी की एक्सरसाइज-
स्टेप 1- दंडासन में बैठकर पैरों के अंगुठे और अंगुलियों को आगे फिर पीछे की ओर धीरे-धीरे बलपूर्वक दबाएं। एड़ियां स्थिर रखें। फिर पूरे पंजे को एड़ी सहित आगे एवं पीछे दबाएं। आगे दबाते हुए एड़ी का जमीन पर घर्षण होगा। यह अभ्यास साईटिका पेन तथा घुटनों के लिए उपयोगी है। इस अभ्यास को 8-10 बार करें।
स्टेप 2- दोनों पैरों को थोड़ी दूरी पर रखें। फिर पहले दाहिने पैर की एड़ी को स्थिर रखते हुए पंजे को दाएं से बाईं दिशा में गोलाकर घुमाएं। फिर बाएं से दाहिने घुमाएं। इस अभ्यास को 8-10 बार दोहराएं। इसी प्रकार दूसरे पैर से अभ्यास करें और फिर दोनों पैरों को मिलाकर एक साथ करें। दोनों स्टेप के दौरान हाथ की हथेलियां भूमि पर ही कमर से सटाते हुए जमाएं रखें।
2.घुटने एवं नितंब की एक्सरसाइज-
स्टेप 1- दाएं पैर को मोड़कर बाईं जंघा पर रखें, बाएं हाथ से दाहिने पंजे को पकड़े तथा दाएं हाथ को दाएं घुटने पर रखें। अब दाएं हाथ को दाएं घुटने के नीचे लगाते हुए घुटने को ऊपर उठाकर छाती से लगाए तथा घुटने को दबाते हुए जमीन पर टिका दें। इस तरह ऊपर और नीचे 8-10 बार करें। इसी प्रकार इस अभ्यास को विपरीत बाएं पैर को मोड़कर दाएं जंघा पर रखकर पहले के समान करें।
स्टेप 2- अंत में दोनों हाथों से पंजों को पकड़कर घुटनों को भूमि पर स्पर्श कराएं और ऊपर उठाएं। इस प्रकार कई बार इसे दौहराएं करें। नितम्ब के जोड़ को स्वस्थ करने के लिए तथा वहां बढ़ी चर्बी को कम करने के लिए यह अभ्यास किया जाता है। इससे पद्मासन करने में भी सरलता होगी।
3.अंगुलियों के लिए एक्सरसाइज-
स्टेप 1-
दंडासन में बैठकर दोनों हाथों को सामने फैलाकर हथेलियों को भूमि की ओर रखें। फिर अंगुलियों को बलपुर्वक धीरे-धीरे मोड़ें और सीधा करें। अर्थात मुठ्ठी बंद करना ओर खोलना। इस अभ्यास को 8-10 कर सकते हैं।
स्टेप 2-
इसके पश्चात अंगुठे को मोड़कर अंगुलियों से दबाते हुए मुक्के जैसी आकृति बनाएं, फिर धीरे-धीरे खोलें। इस प्रकार 10-12 बार कर सकते हैं।
स्टेप 3- अंगुठे को मोड़कर अंगुलियों से दबाते हुए दोनों हाथों की मुठ्ठियां बन्द करके सामने कंधे के समानान्तर सीधा रखें तथा मुठ्ठियों को क्लाकवाइज और एंटीक्लाकवाइज घुमाएं। कोहनियां सीधी रहनी चाहिए। इस अभ्यास को 4-6 बार कर सकते हैं।
स्टेप 4- दोनों हाथों को सामने फैलाकर हाथों के अंगुठे को बारी- बारी से सभी अंगुलियों से स्पर्श कराएं। जैसे हम अंगुलियों पर गिनति गिनते हैं उसी तरह। ऐसा 8-10 बारे करें।
स्टेप 5- अंगुलियों के पृष्ठ भाग के नाखुन आले हिस्से को अंगुठे से दबाएं। इस एक्सरसाइज़ में प्रत्येक अंगुली से शून्य की आकृति बनेगी। एक हाथ से 4 से 6 बार करें।
4.हृदय, कोहनी, हाथ, गर्दन और सोल्डर के लिए एक्सरसाइज-
स्टेप 1- दोनों हाथों की हथेलियों को ऊपर की ओर करते हुए हाथों को सामने फैलाएं। अब कोहनी को मोड़ते हुए अंगुलियों को मिलाते हुए दाएं कंधे पर दाएं हाथ की अंगुलियां और बाएं पर बाईं अंगुलियां स्पर्श करें। फिर पुन: हाथों को सीधा कर दें। ऐसा चार से छह बार करें।
स्टेप 2- इसी अभ्यास को हाथों को दोनों कंधों के समानांतर फैलाकर भी करें। जैसे पहली स्टेप में हाथ ऊपर की ओर थे। अब सामने रखें और फिर कंधों के समानांतर फैलाकर कोहनी को मोड़कर यह अभ्यास करें।
स्टेप 3- दोनों हाथों की हथेलियों को दोनों कंधों के समानांतर फैलाएं। अब कोहनी को मोड़ते हुए अंगुलियों को मिलाते हुए दाएं कंधे पर दाएं हाथ की अंगुलियां और बाएं पर बाईं अंगुलियां स्पर्श करें।
स्टेप 4- अब कोहनियों को क्लाकवाइज और एंटी क्लाकवाइज घुमाएं। ऐसा चार से छह बार करें। फिर दोनों कोहनियों को छाती के सामने एक-दुसरे से स्पर्श करते हुए क्लाकवाइज और एंटी क्लाकवाइज घुमाएं।
स्टेप 5- दोनों हाथों की मुठ्ठी बन्द करके छाती के पास इस प्रकार रखें कि अंगुलियों के पीछे वाले भाग आपस में लगे हुए हों।
स्टेप 6-अब मुठ्ठी बंध दोनों हाथों की अंगुलियों को दबाते हुए फिर कोहनियों को पीठ के पीछे ले जाए। इस प्रक्रिया से आपकी छाती खुलेगी। फिर धीरे धीरे पुन: बंद मुठ्ठियों को छाती के पास लाकर मिला दें। इस प्रक्रिया को मुठ्ठियां खोलकर भी कर सकते हैं।
स्टेप 7- अब दाएं हाथ से बाएं हाथ के कंधे को और बाएं हाथ से दाएं हाथ के कंधे को पकड़े और हाथों से कंधों को दबाते हुए परे हाथ को कलाइयों तक दबाएं। यह एक्सरसाइज़ भी चार से छह बार करें।
5.गर्दन के लिए एक्सरसाइज़-
स्टेप 1. दंडासन में बैठकर ही गर्दन को पहले दांईं ओर घुमाकर ठोड़ी को दाएं कंधे की सीध में लाने का प्रयास करें। इसी तरह गर्दन को घुमाकर बाईं ओर ले जाकर बाएं कंधे की सीध में रखें।
स्टेप 2- इसके पश्चात गर्दन को सामने लाकर आगे की ओर झुकाते हुए ठोड़ी को छाती से लगाइए फिर धीरे-धीरे पीछे ऊपर उठाकर पीछे की ओर यथाशक्ति झुकाएं। अन्त में गर्दन को दोनों दिशाओं में गोलाकर घुमाएं। क्लाकवाइज और एंटी क्लाकवाइज।
स्टेप 3- दाएं ओर की हथेली को दाईं ओर कान के ऊपर सिर पर रखकर हाथ से सिर को दबाएं तथा सिर से हाथ की ओर दबाव डालें। इस प्रकार हाथ से सिर को तथा सिर से हाथ को एक दूसरे के विरुद्ध दबाने से गर्दन में एक कम्पन होता है। इस प्रकार 4-5 बार दबाव डालकर बाईं ओर से इस क्रिया को करना चाहिए।
स्टेप 4- अन्त में दोनों हाथों की अंगुलियों को एक दूसरे में डालते हुए हाथों से सिर को ओर सिर से हाथों को दबाए। ऐसा करते हुए सिर तथा गर्दन सीधी रहनी चाहिए। विरुद्ध दबाव से मात्र एक कम्पन होगा जो कि गर्दन के लिए तथा वहां पर रक्त संचार को सुचारु करने के लिए आवश्यक है।
6.पेट, कमर और पीठ के लिए एक्सरसाइज़-
स्टेप 1- दोनों पैरों को थोड़ा खोलकर सामने फैलाए। दोनों हाथों को कंधों के समकक्ष सामने उठाकर रखें। फिर दाहिनें हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़े एवं बाएं हाथ को पीछे की ओर ऊपर सीधा रखें, गर्दन को भी बाईं ओर घुमाते हुए पीछे की ओर देखने का प्रयास करें। इसी प्रकार दूसरी ओर से करें। इन दोनों अभ्यासों से कमर दर्द व पेट स्वस्थ होता है तथा कमर की बढ़ी हुई चर्बी दूर होती है, परन्तु जिनको अत्यधिक कमर दर्द है वे इस अभ्यास को न करें।
स्टेप 2- दोनों हाथों से एक दूसरे हाथ की कलाई पकड़कर ऊपर उठाते हुए सिर के पीछे ले जाएं। श्वास अन्दर भरते हुए दाएं हाथ से बाएं हाथ को दाहिनी ओर सिर के पीछे से खीचें। गर्दन व सिर स्थिर रहे। फिर श्वास छोड़ते हुए हाथों को ऊपर ले जाएं। इसी प्रकार दूसरी ओर से इस क्रिया को करें।
स्टेप 3- घुटने और हथेलियों के बल बैठ जाएं। जैसे बैल या बिल्ली खड़ी हो। अब पीठ को ऊपर खिठचें और गर्दन झुकाते हुए पेट को देखने का प्रयास करें। फिर पेट व पीठ को नीचे खिंचे तथा गर्दन को ऊपर उठाकर आसमान में देंखे। यह प्रक्रिया 8-12 बार करें।
7.पाचन संस्थान के लिए एक्सरसाइज़-
स्टेप 1- सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं फिर दोनों होथों की हथेलियों को एक-दूसरे में फंसाते हुए उन्हें सिर के ऊपर की ओर ले जाएं और हथेलियों को आकाश की ओर कर दें। अब एक बार स्वयं के शीर को दाएं झुकाएं फिर बाएं। ऐसा 8 से 12 बार करें।
स्टेप 2- कुछ दूरी पर पैरों को फैलाकर विश्राम की मुद्रा में खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को सामने फैला दें। फिर शरीर को कमर से मोड़ते हुए हाथों को पहले दाएं ले जाएं इस तरह की बाएं हाथ कि हथेलियां दायां कंधा छू ले। फिर हाथों को सीधा करते हुए बाएं लें जाएं। इस प्रक्रिया को भी 8 से 12 बार करें।
स्टेप 3-सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। दोनों हाथों की हथेलियों को कमर पर रखें और फिर कमर को क्लाकवाइज और एंटीक्लाकवाइज घुमाएं।
स्टेप 4- पेट के बल मकरासन की स्थिति में लेट जाएं। फिर हाथ की हथेलियों को भूमि कर दबाते हुए सर्पासन की तरह शरीर को भूमि से उठा लें जिससे बाजू पूर्ण रूप से सीधे हो जाएं। अब अपने सिर और छाती दाएं को घुमाकर पैरों को देखने का प्रयास करें। फिर बाएं घुमाकर पैरों को देंखे। इस प्रक्रिया को 6 से 8 बार करें।
स्टेप 5- पंजों के बल बैठ जाएं। दोनों हाथों की हथेलियों को घुटनों पर रख लें। फिर दाएं पैर को उठकर पगथलियों को भूमि पर टिकाएं अर्थात हनुमान स्टाइल में बैठ जाएं लेकिन हथेलियों को घुटने से अलग न करें। फिर गर्दन और छाती घुमाकर पीछे देंखे। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद यही प्रक्रिया बाएं पैर को भूमि पर रखकर करें। इसे 8 से 12 बार कर सकते हैं।
8.आंख, आई ब्रो, गाल और कान के लिए एक्सरसाइज़-
स्टेप 1- गर्दन को सीधा रखकर आंखों की पुतलियों को पहले चार से छह बार ऊपर-नीचे और फिर दाएं-बाएं घुमाएं। तत्पश्चात चार से छह बार दाएं-बाएं गोलाई में घुमाएं अर्थात क्लाकवाइज और एंटी क्लाकवाइज।
स्टेप 1- आई ब्रो को भृकुटि के अर्थात दोनों आई ब्रो के मध्य स्थान से अंगूठे और तर्जनी अंगुली से पकड़कर हल्के से दबाएं।
स्टेप 2- मुंह में हवा भर लें। उस हवा को चार से छह बार दाएं-बाएं घुमाएं फिर चार-छह बार हवा भरें और निकाले। गालों का हल्के से हथेलियों से थपथपाएं। फिर थोड़ी को हाथ के पृष्ठ भाग से थपथपाएं।
स्टेप 2- दाएं हाथ की अंगुलियों से दायां और बाएं से बाया कान पहले नीचे से पकड़कर मरोड़े और फिर ऊपर से पकड़ कर मरोड़े। फिर कुछ देर के लिए कानों के दोनों छिद्र अंगुलियों से बंद कर दें।
लाभ- यह एक्सरसाइज़ पूरे हाथ, सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, फ्रोजन सोल्डर, जोड़ों का दर्द, साइटिका, नेत्र रोग, तनाव, सिरदर्द, गर्दन का दर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द, पेट के रोग, कमजोर बोन, कमजोरी, रक्त अशुद्धता, आलस्य, कब्ज आदि रोगों में लाभदायक है।
अंतत: और भी हैं अनेकों एक्सरसाइज़, लेकिन इतने से ही शरीर और मन को अत्यधिक लाभ पहुंचाया जा सकता है।