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Last Updated : गुरुवार, 13 मार्च 2025 (09:41 IST)

Prayagraj: काठ के हथौड़े की अनूठी बारात, कद्दू फोड़कर किया कुरीतियों का विनाश

होली एक रंग अनेक, हथौड़े की बारात, कद्दू भंजन कर किया कुरीतियों पर प्रहार

Prayagraj: काठ के हथौड़े की अनूठी बारात, कद्दू फोड़कर किया कुरीतियों का विनाश - Unique procession of wooden hammer in Prayagraj
Hathauda Barat: प्रयागराज में होलिकादहन की पूर्व संध्या पर एक अनोखी बारात निकाली जाती है। इस बारात में गाजेबाजे की धुन पर बाराती थिरकते हैं और काजल डलाई से लेकर नजर उतराने की रस्में भी निभाई जाती हैं। चलिए अब हम आपको इस बारात के दूल्हे से मिलवाते हैं। यह दूल्हा घोड़ी पर बैठने वाला नहीं बल्कि काठ (लकड़ी) का हथौड़ा होता है, जो रेशम और ब्रोकेड वाले कपड़े पहने इतराता हुआ बारातियों के हाथों में नजर आता है। यह हथौड़ा बारात पिछले 60 सालों से प्रयाग नागरिक सेवा संस्थान (पीएनएसएस) द्वारा हर साल निकाली जाती है।ALSO READ: होली की राख से करें नजर दोष, जादू-टोना और तंत्र-मंत्र को बेअसर, जानिए उपाय की विधि
 
होली की पूर्व संध्या पर एक अनूठी हथौड़ा बारात : संगम नगरी प्रयागराज तीर्थ वैसे तो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के विश्वप्रसिद्ध है। प्राचीन पंरपराओं को जीवंत रखते हुए यहां प्रत्येक वर्ष होली की पूर्व संध्या पर एक अनूठी हथौड़ा बारात आयोजित होती है। इसमें सजे-धजे बाराती फिल्मी धुनों पर थिरकते हुए शहर के विभिन्न स्थानों पर पहुंचते हैं। इसी कड़ी में 2025 की भव्य हथौड़ा बारात की शुरुआत केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज चौक पर हथौड़े दूल्हे को माला पहनाकर व काजल लगाकर हुई है।ALSO READ: होलिका दहन की रात अग्नि में अर्पित करें ये 5 चीजें, रोग होंगे दूर और खुल जाएंगे उन्नति के रास्ते
 
सामाजिक कुरीतियों के प्रतीक के रूप में कद्दू को तोड़ा : बारात में मुख्य अतिथि के रूप में मेयर गणेश केसवानी शामिल हुए। वहीं हथौड़े दूल्हे के परिवार की पहचान के लिए गुलाबी साफा बांधे लोग बाराती बने हुए दिखाई दिए। बारात संयोजक संजय सिंह ने परंपरागत रूप से लकड़ी के हथौड़ेरूपी दूल्हे की काजल लगाकर राई, नून और मिर्च से नजर उतारी और बलइयां लीं। लालटेन से आरती उतारी और उसके दूल्हे राजा हथौड़े ने सामाजिक कुरीतियों के प्रतीक के रूप में कद्दू को तोड़ा।ALSO READ: ये हैं होली के 5 सबसे नेगेटिव कलर्स, जानें क्यों है अशुभ
 
होली की मस्ती में सराबोर अतिथि बारातियों ने जैसे ही कद्दू को हथौड़े से तोड़ा तो उसमें से अबीर-गुलाल निकला जिससे लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की मस्ती में डूब गए। होलियारों की वेशभूषा में सजे बाराती 'बुरा ना मानो होली है, बुरा ना मानो होली है' का उद्घोष करते हुए एक-दूसरे के साथ होली खेल रहे हैं।ALSO READ: होली पर तुलसी के 3 पत्तों से करें ये 3 अचूक उपाय, कलह और बुरी नजर से छूटेगा पीछा
 
हथौड़ा बारात में जमकर आतिशबाजी भी हुई : हथौड़ा बारात में हाथी-घोड़े, ऊंट व बैंडबाजा भी शामिल रहे। हथौड़ा बारात में जमकर आतिशबाजी भी हुई। जगह-जगह रंग-गुलाल की बौछार के साथ स्वागत कराती यह बारात मीरगंज, खोवा मंडी, जीरो रोड, घंटाघर, बजाजा पट्टी, लाल डिग्गी, लोकनाथ चौराहा होते हुए देर रात कॉलेज के सामने पहुंची। वहां मौजूद लोगों ने भव्य स्वागत करते हुए फूलमालाएं पहनाईं और पुष्प-अबीर उड़ाया।ALSO READ: होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम, भद्राकाल और चंद्रग्रहण का साया, पूजा का शुभ मुहूर्त
 
हथौड़ा बारात की यह है धार्मिक मान्यता : हथौड़ा बारात की मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने विष्णुजी के कहने पर पहली बार तपस्या कर हथौड़ा बनाया और इसकी उत्पत्ति प्रयागराज में हुई। इसी कारण प्रयागराज में होली की शुरुआत से पूर्व संध्या पर हथौड़ा बारात आयोजित होती है।ALSO READ: कौन है होला माता होलिका दहन के समय जिनकी होती है पूजा, क्या एक ही है होलिका और होला माता
 
यह बारात अन्य पारंपरिक विवाह से मेल खाती है। बस अंतर यह है कि दूल्हा काठ का हथौड़ा होता है। जिस प्रकार माता अपने बेटे की शादी में नजर उतारती है, ठीक वैसे ही हथौड़े का संस्कार किया जाता है। बारात में चवन्नीकम, लेहड़ीबूची, छुरियल, सलोथर, खोचड़, जड़दार, मुर्रेदार, बैठकबाज, खुर्राट, लंतरानीबाज, लप्पूझन्ना, नकबहेल, नौरंगा, अंतरबाज, धारू-धप जैसे व्यंग्यपरक रूपक शामिल रहते हैं। इस विवाह में हास-परिहास और मस्ती कूट-कूटकर भरी होती है। 
 
Edited by: Ravindra Gupta
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