गुरुवार, 13 नवंबर 2025
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. UN News
  4. 80 years of Hiroshima: Changes needed to prevent nuclear threat
Written By UN
Last Updated : गुरुवार, 7 अगस्त 2025 (18:26 IST)

हिरोशिमा के 80 साल: परमाणु ख़तरे को रोकने के लिए बदलाव की ज़रूरत

nuclear threat
दुनिया ने बुधवार को उस काले दिन की 80वीं बरसी मनाई, जब 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया था। यह घटना न सिर्फ़ दूसरे विश्व युद्ध में एक निर्णायक मोड़ बनी, बल्कि इनसानियत के इतिहास में एक ऐसा गहरा ज़ख़्म छोड़ गई, जिसकी पीड़ा आज भी महसूस की जाती है। हिरोशिमा अब एक विकसित शहर बन चुका है, लेकिन परमाणु युद्ध का ख़तरा आज भी दुनिया पर मंडरा रहा है।संयुक्त राष्ट्र की निरस्त्रीकरण प्रमुख इज़ूमी नाकामित्सु ने, हिरोशिमा शान्ति स्मारक पर आयोजित समारोह में कुछ ऐसे ही चेतावनी भरे शब्दों का प्रयोग किया है।

इस समारोह में, लगभग 55 हज़ार लोगों ने भाग लिया, जिनमें उस हमले के जीवित बचे हुए लोग, (हिबाकुशा), उनके परिवार, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि और 120 देशों के अधिकारी शामिल थे।

प्रमुख नाकामित्सु ने, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की ओर से सन्देश पढ़ते हुए कहा, “आज हम उन लोगों को याद करते हैं जिनका जीवन उस परमाणु हमले की चपेट में आकर ख़त्म हो गया, और उन परिवारों के साथ खड़े हैं जो उनकी यादों को संजोए हुए हैं”

उन्होंने हिरोशिमा और नागासाकी के जीवित बचे हिबाकुशा लोगों को "शान्ति के नैतिक प्रतीक" बताते हुए उनकी सराहना की। यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, अपने अपने कार्यकाल में, 1945 में हिरोशिमा व नागासाकी में हुए परमाणु विस्फोट के जीवितों के साथ कई बार मुलाक़ात की है।

शहर नहीं, उम्मीद का निर्माण : परमाणु मामलों की प्रमुख नाकामित्सु ने कहा कि जिस जगह पर कभी सब कुछ राख हो गया था, आज वहीं हिरोशिमा ने न केवल खु़द को फिर से खड़ा किया, बल्कि एक ऐसे भविष्य की कल्पना भी की, जहां परमाणु हथियारों के लिए कोई जगह न हो… "आपने सिर्फ़ एक शहर नहीं, बल्कि फिर से उम्मीद का निर्माण किया है”

संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर न्यूयॉर्क मुख्यालय में, उस persimmon फल के पेड़ के बीज से उगाए गए पौधे लगाए गए, जो हिरोशिमा में परमाणु विस्फोट के बावजूद बच गया था।

उन्होंने कहा, “ये सिर्फ़ जीवित पौधे नहीं हैं, बल्कि मानवीय जिजीविषा और हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी के प्रतीक हैं कि हम आने वाली पीढ़ियों को परमाणु तबाही से बचाएं।” परमाणु विस्फोट के दो मिनट, सुबह 8.17 बजे, हिरोशिमा शहर पर गहराता बादल।

बढ़ते ख़तरे : इज़ूमी नाकामित्सु ने चेतावनी दी कि आज के समय में परमाणु युद्ध का ख़तरा बढ़ रहा है। वैश्विक भरोसा टूट रहा है और परमाणु हथियारों को एक बार फिर ताक़त व धमकी के औज़ार के रूप में देखा जा रहा है। हिरोशिमा के मेयर काज़ुमी मात्सुई ने भी इस बात पर चिन्ता जताई कि यूक्रेन और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में जारी युद्धों के बीच, दुनिया एक बार फिर परमाणु हथियारों को सामान्य बना रही है।

हालांकि, आशा की किरणें भी नजर आई हैं। पिछले साल जापान की परमाणु विरोधी संस्था ‘निहोन हिदानक्यो’ को 2024 का नोबेल शान्ति पुरस्कार मिला, और हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में हुए ‘भविष्य के लिए समझौते’ के ज़रिए सदस्य देशों ने एक बार फिर परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया के प्रति प्रतिबद्धता जताई। इज़ूमी नाकामित्सु ने कहा कि अब इन वादों को ठोस क़दमों में बदलने की ज़रूरत है, विशेष रूप से परमाणु अप्रसार सन्धि (NPT) और परमाणु हथियार निषेध सन्धि (TPNW) के ज़रिए।
ये भी पढ़ें
CBSE ने लांच किया 'करियर गाइडेंस डैशबोर्ड' और 'काउंसलिंग हब'