घर में पूजा का विधान:
1. यदि घर में पूजा कर रहे हैं तो पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत होकर पूजा स्थल को पवित्र करें।
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने शिवजी की मूर्ति, चित्र या शिवलिंग को सफेद या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें।
3. मूर्ति को स्नान कराएं और यदि शिवलिंग है तो सबसे पहले जल से अच्छे से स्नान कराएं।
3. जल से स्नान कराने के बाद क्रम से दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से स्नान कराएं। यानी पंचांमृत स्नान कराएं।
4. पंचांमृत स्नान के बाद पुन: जलाभिषेक करें।
6. इसके बाद शिवजी पर पहले बिल्वपत्र अर्पित करें। इसके बाद क्रम से चंदन, माल, फूल, इत्र, भस्म, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें।
7. इसके बाद उनकी मनपसंद का नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
8. इसके बाद उनकी आरत उतारें। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें।
शिवालय में पूजा का विधान :
1. यदि आप शिवालय में पूजन करने जा रहे हैं तो शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव जी को नमस्कार करें। तथा श्रद्धापूर्वक व्रत का संकल्प लेते हुए 'शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येऽहं महाफलम। निर्विघ्नमस्तु से चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।' यह कहते हुए हाथ में लिए पुष्प, अक्षत, जल आदि को छोड़ने के पश्चात यह श्लोक पढ़ें।
2. देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोऽस्तु से, कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति। कामाशः शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि॥'
अर्थात्- हे देवदेव! हे महादेव! हे नीलकण्ठ! आपको नमस्कार है।
3. तत्पश्चात एक चांदी के पात्र में जल भरकर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
4. शिव जी को पंचामृत तथा गंगा जल से स्नान कराते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का उच्चारण करते रहें।
5. फिर सफेद आंकड़े के पुष्प, स्वच्छ और साबुत बिल्वपत्र अर्पित करें।
6. सफेद चंदन अथवा गोपी चंदन से शिवलिंग या प्रतिमा को तिलक लगाएं।
7. शिव जी को सफेद आंकड़े के पुष्प अर्पण करते समय शिव स्तुति का पाठ करें अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
8. धतूरा, भांग, जायफल, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र अर्पित करके खीर का भोग लगाएं।
9. महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, सोमवार या प्रदोष वाले पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करें एवं स्तुति करें।
10. शाम/सायंकाल या रात के समय में पुन: शिव जी का विधिवत पूजन-अर्चन करें।
11. रात्रि जागरण में शिव भजन, मंत्र, श्लोक, स्तोत्र, चालीसा आदि का पाठ अवश्य करें।
12. रात के समय खीर का प्रसाद दूसरों को बांटें। फिर प्रसाद रूपी खीर का सेवन कर पारण करें।
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