कावड़ यात्रा के 14 नियम मानना जरूरी तभी होगी वह सफल
Kawad yatra ke niyam : श्रावण मास में कावर यात्रा निकाली जाती है। यदि आप कावड़ यात्रा में शामिल हो रहे हैं या कावड़ यात्रा निकाल रहे हैं तो आपको इस यात्रा के कुछ नियमों का पालन करना चाहिए अन्यथा भगवान भोलेनाथ शिव जी की आप पर कृपा प्राप्त नहीं होगी और आपकी यात्रा भी सफल नहीं होगी। ऐसे में जानिए खास 14 नियम।
जिज्ञासावश या रोमांच के लिए नहीं भक्तिवश ही करें यात्रा, क्योंकि कावड़ यात्रा के सख्त नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी है।
कावड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का नशा करना वर्जित माना गया है। जैसे चरस, गांजा, शराब आदि।
कावड़ यात्रा के दौरान किसी भी तरह का मांसहारी भोजन करने की भी मनाही है।
कावड़ यात्रा के दौरान यदि कहीं पर रुकना हो तो कावड़ को भूमि पर या किसी चबूतरे पर नहीं रखते हैं।
रुकने के दौरान कावड़ को किसी स्टैंड या पेड़ की डाली पर लटकाकर रखते हैं। लकड़ी के पाट पर भी रख सकते हैं।
यदि भूलवश भी भूमि पर रख दिया तो फिर से कावड़ में जल भरना होता है।
कावड़ में बहती हुई पवित्र नदी का जल ही भरा जाता है, कुंवे या तालाब का नहीं।
यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। इसके पूर्व व पश्चात का सफर वाहन आदि से किया जा सकता है।
पहली बार यात्रा कर रहे हैं तो पहले वर्ष छोटी दूरी की यात्रा करते हैं फिर क्षमता अनुसार बड़ी दूरी की।
कावड़ियों को एक दूसरे की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए लाइन बनाकर ही चलना चाहिए और जत्थे के साथ ही रहना चाहिए।
यात्रा की शुरुआत अपने शहर के करीब की किसी नदी से जल लेकर शहर या आसपास के प्रमुख शिवमंदिर तक की जाती है।
प्रमुख यात्रा के लिए विशेष जगह से यात्रा प्रारंभ होकर विशेष मंदिर में इसका समापन किया जाता है।
यात्रा के दौरान सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है अत: अपनी क्षमता अनुसार ही यात्रा में शामिल हों।
यात्रा के दौरान खानपान पर विशेष ध्यान रखें। पीने के लिए शुद्ध जल का ही उपयोग करें। उचित जगह रुककर आराम भी करें।