• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. श्रावण मास विशेष
  4. Belpatra plant in sawan
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 24 जुलाई 2024 (12:03 IST)

सावन माह में ऐसे लगाएं बेलपत्र का पौधा, जानें इसे लगाने के फायदे

bilva patra tree
bilva patra tree
BelPatra Tree Benefit: श्रावण मास, सोमवार या किसी भी शिव त्योहार पर शिवलिंग पर बेलपत्र यानी बिल्व पत्र अर्पित किया जाता है। भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने का जितना महत्व है, उतना ही महत्व बिल्वपत्र के पौधे को लगाने का भी माना गया है। घर के आसपास या मंदिर में बेल का वृक्ष लगाने से क्या होगा?
 
बेल पत्र अर्पित करने का फल : भगवान के तीन नेत्रों का प्रतीक है बिल्वपत्र। अत: तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है। 10 स्वर्ण मुद्रा के दान के बराबर एक आक पुष्प के चढ़ाने से फल मिलता है। 1 हजार आक के फूल का फल एवं 1 कनेर के फूल के चढ़ाने का फल समान है। 1 हजार कनेर के पुष्प को चढ़ाने का फल एक बिल्व पत्र के चढ़ाने से मिल जाता है।ALSO READ: श्रावण मास में बिल्वपत्र चढ़ाने के ये नियम जरूर जान लें, शिवजी होंगे प्रसन्न
 
बेलपत्र का पौधा लगाने का फल : इस संबंध में मान्यता हैं कि जो व्यक्ति तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है यदि वह श्रावण मास में बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संरक्षण करें तो उसे भोलेनाथ से साक्षात्कार करने का लाभ मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 3 के अलावा 5 पत्तियों वाला बेलपत्र लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। 
Bilva patra
कैसे लगाएं बिल्वपत्र का पौधा?
1. बिल्वपत्र का पौधा गमले में उगाना हैं तो उसके लिए आपको बड़ा गमला लेना होगा।
 
2. गमला लेने के बाद वर्मी कंपोस्ट खाद, रेत, कोकोपीट और गोबर की खाद को एकत्रित करके मिलाकर मिट्‍टी तैयार कर लें।
 
3. इसके बाद किसी भी नर्सरी से बेलपत्र का पौधा खरीदकर लाएं और इसे तैयार गमले में लगा दें। ALSO READ: 72 साल बाद दुर्लभ संयोग के साथ शुरू होगा सावन का श्रावण मास, जानें शुभ मुहूर्त और सोमवार की डेट
 
4. गमले में पौधा लगाने के बाद उसे कुछ दिनों में लिए छायादार जगह पर रखें।
 
5. जब इसके पत्ते बड़े होने लगे और पौधा बढ़ जाए तो ऊपर की ओर बढ़ने वाली पत्तियों को पिंच करके हटा दें। इससे आपके पौधे की ग्रोथ अच्छी होगी। साथ ही पौधे में अधिक पत्तियां उगने लगेंगी।
घर के आसपास बिल्वपत्र लगाने के फायदे:-
  1. बिल्वपत्र के वृक्ष को श्रीवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इसके घर के पास होने से धन-समृद्धि के योग बनते हैं।
  2. जिस घर के पास एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है। 
  3. कहते हैं कि जिस स्थान पर बेलपत्र का पौधा लगा होता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल हो जाता है।
  4. बेलपत्र का पौधा होने से व्यक्ति के पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और सभी सदस्यों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। 
  5. कर्ज से मुक्ति के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाएं बेल का पौधा।
  6. जहां बेल पत्र लगा होता है वहां के घर पर किसी भी तंत्र बाधा का असर नहीं होता है।
  7. वास्तुशास्त्र के अनुसार बेल का पौधा नकारात्मक शक्तियों का नाश कर सकारात्मक शक्तियों का संचार करता है।
  8. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह घर के सदस्यों को चंद्र दोष से मु‍क्त करता है। मान सम्मान में बढ़ोतरी करता है।
  9. इस पौधे के घर में लगे होते से गृह कलह कलेश दूर होता है।
  10. इसके घर के पास लगे होने से शिवजी प्रसन्न होते हैं।
  11. वातावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए बि‍ल्वपत्र के वृक्ष का महत्व है। 
  12. घर के आसपास बिल्वपत्र का पेड़ होने पर वहां सांप या विषैले जीवजंतु भी नहीं आते।
  13. बिल्व का वृक्ष निवास स्थान के उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है। उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और यदि यह वृक्ष निवास स्थान के मध्य में हो तो जीवन में मधुरता आती है।ALSO READ: श्रावण मास में शिव पूजा के खास नियम जान लें, मिलेगा महादेव का आशीर्वाद
sawan somvar 2024
मंदिर में बिल्वपत्र लगाने के फायदे:-
  • किसी भी मंदिर में बिल्वपत्र का पेड़ लगाने से देवता प्रसन्न होते हैं।
  • बिल्वपत्र का पेड़ लगाने से वंश में वृद्धि होती है।
  • भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करनी हो तो बिल्वपत्र का पेड़ लगाएं। 
  • इस वृक्ष के नीचे शिवलिंग पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  • बिल्वपत्र की जड़ का जल अपने माथे पर लगाने से समस्त तीर्थयात्राओं का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
  • चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और किसी माह की संक्राति को बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
  • जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है। ALSO READ: श्रावण मास में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कौन से शिवलिंग की पूजा करना चाहिए?