गणेश चतुर्थी गणेशोत्सव : मुंबई स्थित सिद्धि विनायक गणेश मंदिर की 5 खास बातें
भगवान गणेशजी के मुख्यत: अष्टरूप है जिन्हें अष्ट विनायक कहते हैं। 1. महोत्कट विनायक, 2. मयूरेश्वर विनायक, 3. गजानन विनायक, 4. गजमुख विनायक, 5. मयुरेश्वर विनायक, 6. सिद्धि विनायक, 7. बल्लालेशवर विनायक और 8. वरद विनायक। इन अष्ट विनायक में सबसे मंगलकारी स्वरूप है सिद्धि विनायक गणेशजी का। इनका प्रसिद्ध मंदिर मुंबई में स्थित है। आओ जानते हैं इस मंदिर की 5 खास बातें।
1. इस मंदिर का निर्माण 19 नवंबर सन 1801 में गुरुवार के दिन पूर्ण हुआ था। माटूंगा के आगरी समाज की स्वर्गीय श्रीमती दिउबाई पाटिल के निर्देशों और आर्थिक सहयोग से एक व्यावसायिक ठेकेदार स्वर्गीय लक्ष्मण विथु पाटिल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
2. मुंबई प्रभादेवी में काका साहेब गाडगिल मार्ग और एस.के. बोले मार्ग के कोने पर वह मंदिर स्थित है।
3. आज इस मंदिर को गजानन के विशेष मंदिर का दर्जा प्राप्त है। मंदिर की सिद्धि और प्रसिद्धि इतनी है कि आम हो या खास, सभी बप्पा के दर पर दौड़े चले आते हैं।
4. सिद्धि विनायक का स्वरुप चतुर्भुजी है और इनके साथ इनकी पत्नियां रिद्धि सिद्धि भी विराजमान हैं। सिद्धि विनायक के ऊपर के हाथों में कमल एवं अंकुश और नीचे के एक हाथ में मोतियों की माला और एक हाथ में मोदक से भरा पात्र है।
5. सिद्धि विनायक की पूजा से हर तरह के विघ्न समाप्त होते हैं और हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है। इसनी आराधना से घर परिवार में सुख, समृद्धि और शांति स्थापित होती है और संतान की प्राप्ती होती है।
कैसे पहुंचें:- सिद्धि विनायक मंदिर मुंबई में स्थित है। भारत की आर्थिक राजधानी कहलाने के कारण मुंबई हमारे देश का इंटरनेशनल गेटवे कहलाता है और यहां तक पहुंचना बेहद सुगम है। सड़क, रेल, वायुयान जिससे चाहें उससे आसानी से मुंबई पहुंचा जा सकता है। मंदिर के पास में ही कई धर्मशालाएं और होटल हैं, इसलिए यहाँ ठहरना काफी सुविधाजनक है।