हलहारिणी अमावस्या 9 जुलाई 2021 को है। अमावस्या तिथि पर पितृ देवताओं के लिए तर्पण एवं विशेष धूप-ध्यान, पूजन आदि करना चाहिए। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस अमावस्या को भगवान शिव विशेष वरदान देते हैं। इस दिन किसान खेती में काम आने अपने यंत्रों जैसे- हल इत्यादि का पूजन करते हैं। इसलिए इसे हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। अमावस्या पर स्नान, दान, श्राद्ध व व्रत का विशेष महत्व हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है। इस दिन किए गए उपाय शीघ्र ही शुभ फल प्रदान करते हैं। जानिए इस अमावस्या पर आप कौन-कौन से उपाय कर सकते हैं-
1. हिंदू धर्म में अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है। इसलिए इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले (कंडे) पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप (सुलगते हुए कंडे पर रखना) देनी चाहिए। यदि घी व गुड़ उपलब्ध न हो तो खीर से भी धूप दे सकते हैं।
यदि यह भी संभव न हो तो घर में जो भी ताजा भोजन बना हो, उससे भी धूप देने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं। धूप देने के बाद हथेली में पानी लें व अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर छोड़ दें। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति का अनुभव होता है और वे हमें आशीर्वाद देते हैं। जिससे हमारे जीवन में सुख-शांति आती है।
2. अमावस्या पर भूखे प्राणियों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। गोलियां बनाते समय भगवान का नाम लेते रहें। इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की परेशानियों का अंत हो सकता है। अमावस्या पर चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का प्रायश्चित होगा और अच्छे कामों के फल मिलना शुरू होंगे। इसी से आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
3. अमावस्या को शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। साथ ही दीएं में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय है।
4. अमावस्या पर सूर्य देवता और पितृ देवता का तर्पण करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
5. अमावस्या की रात को करीब 10 बजे नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें। इसके उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। अब अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें।
अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमल गट्टे की माला से ग्यारह माला जाप करें-
मंत्र- सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
मंत्र जाप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस प्रयोग से आपको धन लाभ होने की संभावना बन सकती है।
आइए जानते हैं हलहारिणी अमावस्या पर राशिनुसार कैसे करें पूजन-
मेष- शिव जी को गुड़ चढ़ाएं।
वृष- दही से शिव का अभिषेक करें।
मिथुन- गन्ने के रस से शिव का अभिषेक करें।
कर्क- कच्चे दूध और पानी से शिव का अभिषेक करें।
सिंह- शिव को खीर का भोग लगाएं।
कन्या- भगवान शंकर को बिल्व पत्र चढ़ाएं।
तुला- कच्चे दूध से शिव का अभिषेक करें।
धनु- पंचामृत से शिव का अभिषेक करें।
वृश्चिक- शिव को गुलाब के फूल च़ढ़ाएं।
मकर- शिव को नारियल का जल चढ़ाएं।
कुंभ- शिव जी का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
मीन- केसर युक्त दूध से शिव का अभिषेक करें।