अब अस्पतालों की व्यवस्था की रिपोर्ट खुद देंगे मरीज
हमीरपुर। उत्तरप्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों की हकीकत जानने के लिए अभिनव प्रयोग कर रही है। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक (सीएमएस) डॉ. राजीव कुमार शर्मा ने बताया कि अब भर्ती मरीज और उसके तीमारदार अस्पताल द्वारा दी जा रही सुविधाओं की रिपोर्ट देंगे।
अस्पताल में नियुक्त स्वास्थ्य मिशन के प्रबंधक हर माह मरीजों तथा उनके तीमारदारों से अस्पताल की व्यवस्था के बारे में पूछताछ कर रिपोर्ट देंगे तथा इस रिपोर्ट को शासन को भेजा जाएगा। शासन 'मेरा अस्पताल' नामक कार्यक्रम संचालित कर सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने के लिए एक अभिनव प्रयोग कर रहा है। इसके लिए फिलहाल 20 जिलों का चयन किया गया है। स्वास्थ्य मिशन के तहत अस्पताल में प्रबंधक को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि इसके लिए पुरुष तथा महिला अस्पताल में हर रोज मरीजों व उनके तीमारदारों से पूछताछ की जाएगी। अस्पताल की व्यवस्था से संतुष्ट है कि नहीं? यदि नहीं तो उसका कारण क्या है? काउंसिलिंग में पूछा जाएगा कि किस स्वास्थ्यकर्मी के व्यवहार से आप नाराज हैं तथा उसका निदान कैसे किया जा सकता है?
उन्होंने बताया कि अस्पताल का कौन-सा स्थान गंदा है? दवाएं कैसी मिल रही हैं? जांच प्रक्रिया कैसी है? जांच में कोई धनराशि वसूली तो नहीं हो रही है? किस मद में कितना पैसा लिया जा रहा है? इसकी पूरी जानकारी मरीज तथा तीमारदार से की जाएगी। मरीजों से पूछा जाएगा कि क्या गुणवत्तायुक्त उपचार मिल रहा है? यदि नहीं, तो खामियां कहां पर हैं?
डॉ. ने बताया कि अस्पताल की व्यवस्था में व्हीलचेयर, स्ट्रैचर तथा अन्य मिलने वाली सुविधाओं की क्या व्यवस्था है? क्या मरीजों को सभी सुविधाएं प्राप्त हो रही है? इसकी पूरी जानकारी अस्पताल के प्रबंधक हर रोज कम से कम 3 मरीजों तथा उनके तीमारदारों से पूछेंगे। प्रबंधक इसकी रिपोर्ट माह के अंत में सीएमएस को सौपेंगे।
सीएमएस इस मामले की हर माह स्टाफ बैठक कर संबंधित स्वास्थ्यकर्मी से अपनी त्रुटियों में सुधार करने के लिए लिखित हिदायत देंगे। यही नहीं, इस मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। यदि स्वास्थ्यकर्मी बार-बार गलतियां करता जा रहा है और उसके काम में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है तो उसकी सेवा भी समाप्त की जा सकती है।
शासन की बैठक में हिस्सा लेकर आए सीएमएस डॉ. शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार के लिए निचले पायदान से काम किया जा रहा है ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति को चिकित्सा लाभ मिल सके। उनका कहना है कि शासन ने कहा है कि अब डॉक्टरों की संविदा में भर्ती करने के लिए शासन स्तर पर न ही आवेदन करने की आवश्यकता है, न ही चक्कर लगाने की जरूरत है। (वार्ता)