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Last Modified: मंगलवार, 24 सितम्बर 2024 (14:36 IST)

कर्नाटक CM सिद्धरमैया को बड़ा झटका, MUDA मामले में चलेगा मुकदमा, याचिका खारिज

कर्नाटक CM सिद्धरमैया को बड़ा झटका, MUDA मामले में चलेगा मुकदमा, याचिका खारिज - karnataka high court big jolt to CM siddarmaiah
Karnataka news in hindi : कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को एक बड़ा झटका देते हुए उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भू आवंटन मामले में उनके विरूद्ध जांच के लिए राज्यपाल थारवरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी थी।
 
मुख्यमंत्री ने मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा (MUDA) पॉश क्षेत्र में उनकी पत्नी को किए गए 14 भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में उनके खिलाफ राज्यपाल थारवरचंद गहलोत द्वारा दी गई जांच की मंजूरी को चुनौती दी थी।
 
19 अगस्त से 6 बैठकों में इस याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने 12 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
 
हाईकोर्ट ने 19 अगस्त के अपने अंतरिम आदेश का भी विस्तार किया था। इस अंतरिम आदेश में विशेष अदालत (जनप्रतिनिधि) को (सिद्धरमैया की) इस याचिका के निस्तारण तक अपनी कार्यवाही (सुनवाई) टाल देने का निर्देश दिया गया था। विशेष अदालत (जनप्रतिनिधि) उनके (सिद्धरमैया के) खिलाफ शिकायत की सुनवाई करने वाली थी।
 
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने व्यवस्था दी, ‘‘याचिका में बताए गए तथ्यों की निस्संदेह जांच की आवश्यकता है। इन सभी कृत्यों का लाभार्थी कोई बाहरी व्यक्ति नहीं बल्कि याचिकाकर्ता का परिवार है। याचिका खारिज की जाती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि आज तक प्रभावी किसी भी प्रकार का अंतरिम आदेश समाप्त हो जाएगा।
 
राज्यपाल ने शिकायतकर्ताओं--प्रदीप कुमार एस पी, टी जे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा द्वारा सौंपी गई याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के सिलसिले में 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत (जांच की) मंजूरी प्रदान की थी। सिद्धरमैया ने राज्यपाल के आदेश की वैधता को 19 अगस्त को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
 
अपनी याचिका में मुख्यमंत्री ने कहा था कि बिना समुचित विचार किए, वैधानिक आदेशों तथा मंत्रिपरिषद की सलाह सहित संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए मंजूरी आदेश जारी किया गया। उन्होंने याचिका में कहा था कि मंत्रिपरिषद की सलाह भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी है।
 
सिद्धरमैया ने यह दलील देते हुए उच्च न्यायालय से राज्यपाल के आदेश को खारिज करने का अनुरोध किया कि उनका निर्णय वैधानिक रूप से असंतुलित, प्रक्रियागत खामियों से भरा तथा असंबद्ध विचारों से प्रेरित है।
 
मशहूर वकीलों-- अभिषेक मनु सिंघवी एवं प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने सिद्धरमैया का पक्ष रखा जबकि सॉलीसीटर जनरल (भारत सरकार) तुषार मेहता राज्यपाल की ओर से पेश हुए। महाधिवक्ता किरण शेट्टी ने भी दलीलें दीं।
 
वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह, प्रभुलिंग के नावदगी , लक्ष्मी अयंगर, रंगनाथ रेड्डी, के जी राघवन एवं अन्य ने शिकायतकर्ताओं का पक्ष रखा। इन शिकायतकर्ताओं ने सिद्धरमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी मांगी थी।
 
क्या है मामला : एमयूडीए भू आवंटन मामले में आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी बी एम पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में मुआवजे के रूप में जो भूखंड आवंटित किए गए थे, उनकी कीमत एमयूडीएफ द्वारा अधिग्रहीत की गई जमीन की तुलना में काफी अधिक थी।
 
एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किए थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किए थे। इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गई थी।
 
आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था।
 
भाजपा ने मांगा इस्तीफा : भाजपा की कर्नाटक इकाई ने भू आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की, अपने खिलाफ जांच की मंजूरी संबंधी राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय से खारिज हो जाने के बाद मंगलवार को सिद्धरमैया के इस्तीफे की मांग की है।
 
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने कहा कि उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि राज्यपाल की मंजूरी कानून के मुताबिक है। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से राज्यपाल के खिलाफ आरोपों को एक तरफ रखने एवं उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करने का अनुरोध करता हूं क्योंकि आरोप हैं कि आपका परिवार एमयूडीए (भू आवंटन) घोटाले में लिप्त है, आपको मुख्यमंत्री के पद से सम्मानपूर्वक इस्तीफा दे देना चाहिए।
Edited by : Nrapendra Gupta 
 
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