रांची। झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पद पर बने रहने को लेकर जारी सस्पेंस के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि वह मुख्यमंत्री के विधानसभा की सदस्यता पर निर्णय की घोषणा में जानबूझकर देरी करके राजनीतिक खरीद-फरोख्त की स्थिति पैदा कर रहे हैं।
कई बैठकों के बाद गठबंधन सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्यपाल रमेश बैस से पिछले 4 दिनों से राज्य में व्याप्त भ्रम को दूर करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री आवास पर देर शाम आयोजित संवाददाता सम्मेलन में झामुमो के वरिष्ठ नेता एवं परिवहन मंत्री चंपई सोरेन, स्टीफन मरांडी, कांग्रेस से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, विधायक अंबा प्रसाद और राजद से राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता शामिल हुए।
चंपई सोरेन ने कहा कि मुख्यमंत्री की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने बात कही जा रही है, ये सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं लेकिन उनकी सदस्यता अब तक रद्द नहीं की गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि झारखंड में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार काम कर रही है।
चंपई ने कहा कि चर्चा है कि निर्वाचन आयोग से पत्र आ गया है। लेकिन राज्यपाल ने अब तक कोई बात सामने नहीं रखी है। यह लोकतंत्र में जनता का अपमान है। ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जैसे कुछ बड़ा होने वाला है।
चंपई ने कहा कि अब दिल्ली में विधायकों की खरीद-बिक्री की भी बात सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा ही महाराष्ट्र में देखने को मिला। उन्होंने पूछा कि आखिर मंशा क्या है बताया जाए। अगर राज्यपाल के पास कोई पत्र आया है तो उसे सामने लाया जाए। पूरे देश की इस पर नजर है। सभी को एक साथ देखकर भाजपा को सहन नहीं हो रहा है। राज्य को अराजक स्थिति में धकेला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल के कंधो पर बड़ी जिम्मेदारी है जिसे उन्हें पूरा करना चाहिए। आज राज्य की जनता सुबह से शाम तक बस प्रतीक्षा कर रही है। हेमंत सोरेन की लोकप्रियता भाजपा को पच नहीं रही।
संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेता और मंत्री बन्ना गुप्ता ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा की सोची समझी साजिश के तहत ऐसा काम किया जा रहा है। आज की स्थिति लोकतंत्र का काला अध्याय है। गुप्ता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार साजिश के तहत ऐसा काम कर रही ताकि भ्रम फैले। संवैधानिक संस्थाओं के निर्णय पर सवाल खड़ा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर निर्वाचन आयोग ने कोई निर्णय भेजा है, तो बताना चाहिए। कहीं छापेमारी होती है तो बताया नहीं जाता है क्या हुआ। हमलोग डरने वाले नहीं हैं। हर अन्याय का बदला लिया जाएगा।
झामुमो के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी ने कहा कि राज्यपाल को जो भी फैसला लेना है उन्हें बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि देरी से झारखंड में खरीद-फरोख्त की स्थिति पैदा की जा रही है।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में रविवार शाम महागठबंधन के सभी विधायकों की बैठक हुई। इसमें कांग्रेस के राज्य प्रभारी अविनाश पांडेय भी शामिल हुए। इसके अलावा मुख्यमंत्री एवं पांडेय की अकेले में लगभग एक घंटे चर्चा हुई।
राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। लाभ के पद के मामले में विधायक पद से अयोग्य करार देने की मांग करने वाली भाजपा की एक याचिका के बाद, निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को राज्य के राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेजा है। हालांकि निर्वाचन आयोग के फैसले को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि आयोग ने हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है।