झारखंड में सियासी संग्राम, MLA को बंगाल या छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक विधायक के रूप में भविष्य को लेकर बनी अनिश्चितता के चलते झारखंड में गहराते राजनीतिक संकट गहरा गया है। इस बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को भाजपा के खरीद फरोख्त के प्रयासों से बचाने के लिए पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भेजा जा सकता है।
यह घटनाक्रम झारखंड में उपजे राजनीतिक संकट की स्थिति के मद्देनजर आया है, जहां सोरेन के एक विधायक के तौर पर अयोग्य होने का खतरा पैदा हो गया है। राज्यपाल रमेश बैस शनिवार को विधायक के रूप में सोरेन की अयोग्यता के मामले में अपना फैसला चुनाव आयोग को भेज सकते हैं।
रणनीतिक तैयारी के मद्देनजर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक का तीसरा दौर मुख्यमंत्री आवास में जारी है। बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी विधायक अपने-अपने सामान के साथ बैठक में शामिल हैं। जरूरत पड़ने पर सत्तारूढ़ पक्ष के सभी विधायकों को एक ही स्थान पर भेजा जाएगा। हालांकि इस मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल द्वारा अयोग्यता आदेश भेजे जाने के बाद ही लिया जाएगा।
मीडिया खबरों के अनुसार, गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ या पश्चिम बंगाल में ठहराने की सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं, दोनों राज्यों में गैर-भाजपा सरकारें हैं। तीन लग्जरी बसें विधायकों और सुरक्षाकर्मियों को सड़क मार्ग से पहुंचाने के लिए रांची पहुंच गई हैं।
इस बीच, गोड्डा से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सूत्रों के अनुसार, कुछ विधायक देर रात दो बजे छत्तीसगढ़ पहुंचे। अधिकांश विधायक जाने से हिचक रहे हैं और झामुमो के वरिष्ठ नेता बसंत सोरेन के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। कुछ बसें विधायकों के लिए रांची में खड़ी हैं।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि हाथ पांव मारने के बाद भी केवल 33 विधायक झारखंड के रांची में जमा हो पाए, झामुमो देर करता नहीं देर हो जाती है।
निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को बैस को एक याचिका पर अपनी राय भेजी थी, जिसमें सोरेन द्वारा खुद को एक खनन पट्टा आवंटित करके चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।