मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. Asaram moved Rajasthan High Court
Written By
Last Updated :जोधपुर , शनिवार, 16 सितम्बर 2023 (14:56 IST)

आसाराम ने किया राजस्थान उच्च न्यायालय का रुख, पैरोल के लिए दूसरी बार पहुंचा

आसाराम ने किया राजस्थान उच्च न्यायालय का रुख, पैरोल के लिए दूसरी बार पहुंचा - Asaram moved Rajasthan High Court
Asaram: आसाराम (Asaram) ने पैरोल के अनुरोध वाली अपनी याचिका के दूसरी बार खारिज होने के बाद राहत के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) का रुख किया है। आसाराम के वकील ने शनिवार को यह जानकारी दी। अदालत ने आसाराम की याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को शुक्रवार को एक नोटिस (notice) जारी कर 2 सप्ताह में जवाब देने को कहा।
 
स्वयंभू बाबा आसाराम को उसके आश्रम में एक किशोरी के यौन उत्पीड़न के मामले में 25 अप्रैल 2018 को दोषी ठहराया गया था जिसके बाद से वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। आसाराम के वकील कालू राम भाटी ने कहा कि जिला पैरोल समिति ने उसकी याचिका को इस आधार पर दूसरी बार खारिज कर दिया कि पैरोल पर उसे रिहा किए जाने से कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
 
भाटी ने बताया कि आसाराम ने 20 दिन की पैरोल का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की थी, लेकिन समिति ने पुलिस की नकारात्मक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया। अदालत में भाटी ने दलील दी कि आसाराम 11 साल से जेल की सजा काट रहा है और यहां तक कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने भी उसके लिए पैरोल की सिफारिश की है।
 
उन्होंने कहा कि इसके अलावा जेल में इस पूरी अवधि के दौरान उसका (आसाराम का) व्यवहार संतोषजनक रहा और वह अपनी वृद्धावस्था एवं स्वास्थ्य कारणों से पैरोल पर रिहाई का हकदार है। अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा जिसके बाद न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने उन्हें 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
 
इससे पहले आसाराम की पैरोल याचिका को समिति ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह 'राजस्थान प्रिजनर्स रिलीज ऑन पैरोल नियम', 2021 (2021 के नियम) के प्रावधानों के तहत पैरोल का हकदार नहीं है जिसके बाद स्वयंभू बाबा ने जुलाई में उच्च न्यायालय का रुख किया था।
 
आसाराम के वकील ने तब दलील दी थी कि यह नियम उनके मुवक्किल पर लागू नहीं होता, क्योंकि इसके क्रियान्वयन से पहले ही उसे दोषी ठहरा दिया गया था और सजा सुनाई गई थी। तब उच्च न्यायालय ने आसाराम की याचिका का निपटारा करते हुए समिति को 1958 के पुराने नियमों के आलोक में उसकी पैरोल याचिका पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
ये भी पढ़ें
Madhya Pradesh Rain : खंडवा और खरगौन में बारिश, इंदिरा सागर बांध के गेट खुले (Live Updates)