कश्मीर में 2 साल बाद पाबंदियों के बिना मनाई गई ईद पर पत्थरबाजी का खलल
जम्मू। कश्मीर में 2 साल बाद पाबंदियों के बिना ईद मनाई गई, पर इसमें पत्थरबाजी ने अपना खलल डाल ही दिया। ईद के मौके पर पत्थरबाजी की घटना सामने आई है। जिला अनंतनाग में सुबह की नमाज के बाद एक मस्जिद के बाहर पत्थरबाजी हुई है। बताया जा रहा है कि लोगों ने सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंके। मस्जिद पर नमाज पढ़ने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। पिछले साल कोरोना संक्रमण के चलते इतनी बड़ी संख्या में लोग नमाज पढ़ने के लिए नहीं पहुंचे थे। लेकिन इस बार कोरोना के मामले कम हैं और लोगों ने एकसाथ नमाज पढ़ी।
2 वर्ष बाद वादी में ईद उल फितर का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। ऐतिहासिक हजरतबल दरगाह समेत वादी की सभी प्रमुख मस्जिदों और दरगाहों में बड़ी संख्या में लोगों ने कोविड-19 की पाबंदियों की राहत के बीच नमाए-ए-ईद अदा करते हुए अमन व सुख-चैन और खुशहाली की बहाली की दुआ की।
शरारती तत्वों द्वारा गड़बड़ी किए जाने की आशंका से निपटने के लिए ऐतिहासिक जामिया मस्जिद बंद रही। जामिया मस्जिद में नमाज-ए-ईद नहीं हुई। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में शरारती तत्वों ने नमाज-ए-ईद के बाद माहौल बिगाड़ने के लिए भड़काऊ नारेबाजी के साथ पथराव शुरू किया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने त्वरित कार्रवाई कर स्थिति पर काबू पा लिया। अन्यत्र भी स्थिति पूरी तरह शांत रही।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने समेत प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने लोगों को ईद की बधाई दी। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि ईद का त्योहार खुशियां बांटने का होता है। ईद-उल-फितर माह-ए-रमजान के महीने के बाद मनाई जाती है। यह शुभ दिन आपसी सद्भावना को मजबूत करे और प्रदेश की समन्वित संस्कृति में एकता और गर्व की भावना पैदा करे।
वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 के कारण उपजे हालात में पाबंदियों के चलते वादी में कहीं भी सामूहिक रूप से नमाज-ए-ईद नहीं हुई थी। इसके अलावा लोग भी ईद के दिन अपने नाते-रिश्तेदारों से मिलने, दावत करने के मामले में सीमित रहे थे। इस बार हालात बेहतर हैं और कोविड-19 संक्रमण का प्रकोप भी घट चुका है और पहले की तरह कहीं कोई प्रशासनिक पाबंदी भी लागू नहीं थी।(फ़ाइल चित्र)