सीता की बहनें भी विशेष थीं, जानिए क्या था उनमें खास
देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें 'जानकी' भी कहा जाता है। कहते हैं कि राजा जनक को माता सीता एक खेत से मिली थी। इसीलिए उन्हें धरती पुत्री भी कहा जाता है। आओ जानने हैं उनके भाई बहनों के बारे में।
वाल्मीकि रामायण में सीता की एक बहन उर्मिला बताई है। मांडवी व श्रुतकीर्ति जनकजी के छोटे भाई कुशध्वज की बेटियां थी। मानस मैं सीता जनकजी की इकलौती बेटी बताई गई है। कुल मिलाकर सीताजी की तीन बहनें थीं। उनके भाई का नाम मंगलदेव है जो धरती माता के पुत्र हैं।
उर्मिला : वाल्मीकि रामायण के अनुसार, उर्मिला जनकनंदिनी सीता की छोटी बहन थीं और सीता के विवाह के समय ही दशरथ और सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण को ब्याही गई थीं। जब राम और सीता के साथ लक्ष्मण भी वनवास को जाने लगे तब पत्नी उर्मिला ने भी उनके साथ जाने की जिद की, परन्तु लक्ष्मण ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है। उर्मिला के लिए यह बहुत कठिन समय था ऐसे में जबकि वह नववधू थी और उसके दांपत्य जीवन की तो अभी शुरुआत ही हुई थी।
लक्ष्मण के वनवास जाने के बाद उर्मिला के पिता अयोध्या आए और उर्मिला को मायके चलने का अनुरोध करने लगे, ताकि मां और सखियों के सान्निध्य में उर्मिला का पति वियोग का दुःख कुछ कम हो सके। परन्तु उर्मिला ने अपने मायके मिथिला जाने से इनकार करते हुए कहा कि पति की आज्ञा अनुसार पति के परिजनों के साथ रहना और दुख में उनका साथ न छोड़ना ही अब उसका धर्म है। यह उर्मिला का अखंड पतिव्रत धर्म था।
मान्यता पर आधारित एक कथा पढ़ने को मिलती है। कथा यह है कि रावण के पुत्र मेघनाद को यह वरदान था कि जो व्यक्ति 14 वर्षों तक सोया न हो वही उसे हरा सकता है। हालांकि लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम और भाभी सीता की सुरक्षा और सेवा में इतने लगे रहे कि वे 14 वर्ष तक सो ही नहीं पाए। कथा अनुसार उनके बदले उर्मिला 14 वर्ष तक सोती रही। एक अन्य कथानुसार लक्ष्मण की विजय का मुख्य कारण उर्मिला का पतिव्रत था। लक्ष्मण के उर्मिला से अंगद और चन्द्रकेतु नाम के दो पुत्र तथा सोमदा नाम की एक पुत्री उत्पन्न हुई। अंगद ने अंगदीया पुरी तथा चन्द्रकेतु ने चन्द्रकांता पुरी की स्थापना की थी।
माण्डवी : मांडवी दशरथ पुत्र भरत की पत्नी थीं। मांडवी राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बेटी थी। वह एक साध्वी की तरह रहती थी। वचनासुर भारत अयोध्या में नहीं नंदीग्राम में रहते थे और मांडवी पति के प्रभु श्रीराम के समर्पण का सम्मान करती थीं और उनके हर कार्य में सहयोग करती थी। वह कुल की मर्यादा अनुसार आचरण करती थी। उनके दो बेटे थे- तक्ष और पुष्कल।
श्रुतकीर्ति : श्रुतकीर्ति राजा कुशध्वज की पुत्री थी, श्रुतकीर्ति का विवाह भगवान राम के अनुज शत्रुघ्न से हुआ था। इनके दो पुत्र हुए, शत्रुघति और सुबाहु। कुशध्वज मिथिला के राजा निमि के पुत्र और राजा जनक के छोटे भाई थे।