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Raksha Bandhan: 474 साल बाद रक्षाबंधन पर शुभ संयोग, बन रहा है गज केसरी योग

Raksha Bandhan: 474 साल बाद रक्षाबंधन पर शुभ संयोग, बन रहा है गज केसरी योग - Raksha bandhan shubh sanyog Muhurat
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार प्रति वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व अंग्रेजी के कैलेंडर के अनुसार 22 अगस्त 2021 रविवार को रहेगा। इस बार 474 साल बाद रक्षाबंधन पर शुभ संयोग भी बन रहा है। आओ जानते हैं शुभ मुहूर्त और संयोग के बारे में जानकारी।
 
 
शुभ संयोग :
1. शोभन योग : प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से प्रात: 10 बजकर 34 मिनट तक शोभन योग रहेगा। यह अच्छा योग है। इसमें सभी तरह के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। शोभन योग काल- 21 अगस्त 12:54 pm – 22 अगस्त 10:33 am
 
2. धनिष्ठा नक्षत्र : धनिष्ठा नक्षत्र शाम को करीब 07 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। धनिष्ठा का स्वामी ग्रह मंगल है। इस नक्षत्र के दौरान शुभ मुहूर्त में राखी बंधाई जा सकती है। धनिष्ठा काल- 21 अगस्त 08:21 pm – 22 अगस्त 07:39 pm तक।
 
3. गजकेसरी योग : इस साल 2021 में रक्षाबंधन का त्योहार राजयोग में बनाया जाएगा। राखी पर इस बार चंद्रमा कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे और गुरु कुंभ राशि में ही वक्री चाल में मौजूद है। गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षाबंधन पर गज केसरी योग का निर्माण हो रहा है। यह योग विजय दिलाने वाला और सुख देने वाला योग कहा गया है। इस योग में किए गए कार्यों के परिणाम अच्छे होते हैं।
 
 
4. 474 साल इस तरह के ग्रहों के योग बने हैं : राखी के दिन धनिष्ठा नक्षत्र में सूर्य, मंगल और बुध तीनों एक साथ सिंह राशि में मौजूद रहेंगे। तीन ग्रहों का ऐसा संयोग 474 साल के बाद बन रहा है। ऐसा संयोग भाई-बहन के लिए यह बहुत ही लाभकारी और सुख प्रदान करने वाले माना जा रहा है।
 
शुभ मुहूर्त :
1. अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57:51 से दोपहर 12:49:52 तक।
2. अमृत काल: - सुबह 09:34 से 11:07 तक।
3. ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:33 से 05:21 तक।
4. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 22 अगस्त की सुबह 5 बजकर 50 मिनट से शाम 6 बजकर 03 मिनट का तक राखी बांधी जा सकती है चौघड़िया देखकर।
 
 
इस समय न बांधें राखी :
राहु काल : 17:16:31 से 18:54:05 तक
दुष्टमुहूर्त : 17:10:01 से 18:02:03 तक
भद्रा काल : भद्रा काल 23 अगस्त, 2021 सुबह 05:34 से 06:12 तक रहेगा। राखी भद्राकाल और राहुकाल में नहीं बांधी जाती है क्योंकि इन काल में शुभ कार्य वर्जित माना जाता हैं। हालांकि इस बार राखी पर भद्रा का साया नहीं है।
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