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Written By WD Feature Desk

आषाढ़ी शुक्ल नवमी को क्यों कहते हैं भड़ली नवमी?

Bhadli Navami 2025
Bhadriya Navami: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी कहा जाता है। यह दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर मांगलिक कार्यों के लिए। इस बार वर्ष 2025 में भड़ली नवमी 4 जुलाई, शुक्रवार को मनाई जाएगी।ALSO READ: इस बार 'भड़ली-नवमी' पर नहीं होंगे विवाह, अभी जान लीजिए कारण
 
आषाढ़ी शुक्ल नवमी को 'भड़ली नवमी' क्यों कहते हैं: 'भड़ली' शब्द की उत्पत्ति और इसके नामकरण के पीछे कोई एक निश्चित पौराणिक कथा या संस्कृत व्युत्पत्ति नहीं है। हालांकि, इसे इस नाम से पुकारे जाने के कुछ प्रमुख कारण और मान्यताएं हैं।

जैसे भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी की तरह 'अबूझ मुहूर्त' या 'स्वयं सिद्ध मुहूर्त' माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग देखने या ज्योतिष से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं होती। यह तिथि स्वयं में ही इतनी शुभ मानी जाती है कि इस दिन किए गए कार्य सफल और मंगलकारी होते हैं।
 
चूंकि यह देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है, इससे ठीक पहले की प्रमुख शुभ तिथि होती है, इसलिए जिन लोगों को साल भर में विवाह या अन्य शुभ कार्यों का मुहूर्त नहीं मिल पाता, वे इस दिन बिना संकोच के कार्य संपन्न कर सकते हैं।ALSO READ: श्रावण माह में इस बार कितने सोमवार हैं और किस तारीख को, जानिए

यह अंतिम 'अबूझ' विवाह मुहूर्त होता है, जिसके बाद चार महीने तक चातुर्मास की अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, क्योंकि भड़ली नवमी के ठीक दो दिन बाद देवशयनी एकादशी होती है, जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास आरंभ हो जाता है। 
 
आषाढ़ शुक्ल नवमी को गुप्त नवरात्रि का भी समापन होता है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्रि की साधनाएं पूर्ण होती हैं। गुप्त नवरात्रि की शक्ति और इस अबूझ मुहूर्त का मेल इस दिन को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना देता है।

इस प्रकार, भड़ली नवमी अपने आप में एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि है, जो विशेषकर चातुर्मास से पहले मांगलिक कार्यों को संपन्न करने का अंतिम और स्वयं सिद्ध अवसर प्रदान करती है।
 
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