festival : आज अहोई अष्टमी, कालाष्टमी और राधा अष्टमी ....जानिए शुभ महत्व
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी आज, 28 अक्टूबर को अहोई अष्टमी (ashtami worship n importance), कालाष्टमी और राधा अष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। आज 667 साल बाद अहोई अष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। अहोई अष्टमी के दिन मां पार्वती और भगवान श्री गणेश का पूजन किया जाता है। आज गुरु-पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग होने से इन पर्वों का अधिक महत्व बढ़ गया है। मान्यतानुसार इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शाम को तारों का दर्शन करने और उन्हें अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं।
आज एक ओर जहां महिलाएं अहोई अष्टमी पर्व पर रीति-रिवाज और परंपरागत तरीके से व्रत-उपवास करती हैं वहीं राधा अष्टमी के दिन कृष्ण प्रिया राधा का पूजन किया जाता है। यदि श्रीकृष्ण के साथ से राधा को हटा दिया जाए तो उनका व्यक्तित्व माधुर्यहीन हो जाता, क्योंकि राधा के कारण ही श्रीकृष्ण रासेश्वर हैं। राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अपूर्ण है। धार्मिक मान्यताओं में राधा अष्टमी का दिन बेहद खास और लाभकारी माना गया है। राधा जी श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसीलिए आज के दिन उनका पूजा करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की यह अष्टमी अहोई या आठें कहलाती है। यह व्रत दीपावली से ठीक एक सप्ताह पूर्व आता है। कहा जाता है इस व्रत को संतान वाली स्त्रियां करती हैं। अहोई अष्टमी के दिन माताएं व्रत रखकर सांस्कृतिक उत्सव का रूप भी प्रदान करती हैं और अपने बच्चों के कल्याण के लिए यह व्रत रखकर अहोई माता के साथ सेई और उसके बच्चों के चित्र भी बनाकर पूजे जाते हैं।
पौराणिक शास्त्रों में राधा जी को लक्ष्मी जी का अवतार भी माना गया है। इसीलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। राधा अष्टमी पर महिलाएं व्रत रखती हैं। यह व्रत अखंड सौभाग्य पाने की कामना से और परिवार में सुख-समृद्धि और शांति पाने के लिए रखा जाता है। यह व्रत संतान सुख दिलाने वाला भी माना जाता है। राधा अष्टमी के दिन श्री राधा और श्रीकृष्ण दोनों की पूजा करना चाहिए, मान्यतानुसार जो भक्त राधा जी को प्रसन्न कर लेता है, उसे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा अपने आप ही मिल जाती हैं। आज के दिन राधा कुंड में स्नान की विशेष परंपरा भी है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से नि: संतान व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है।
कालाष्टमी व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो कि भगवान शिव के ही अन्य रूप को समर्पित है। अष्टमी के दिन भगवान कालभैरव के भक्त भैरव जी की पूजा-अर्चना करके व्रत रखते हैं। कालभैरव की सवारी कुत्ता होने से इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना अतिशुभ माना जाता है। कालिका पुराण के अनुसार श्री भैरव जी को शिव जी का गण माना गया है, जिनका वाहन कुत्ता है। अत: इस दिन व्रत रखने के साथ ही कुत्ते की सेवा भी अवश्य करना चाहिए। साथ ही अष्टमी के दिन 'ॐ कालभैरवाय नम:', 'ॐ उमादेव्यै नमः' तथा 'ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै नम:' का जाप करना चाहिए।