मार्गशीर्ष माह में करेंगे ये खास काम तो याद आ जाएगा पिछला जन्म
Margashirsha Month: हिन्दू केलैंडर के अनुसार कार्तिक माह के बाद मार्गशीर्ष का माह प्रारंभ होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह माह 9 नवंबर से प्रारंभ होकर 8 दिसंबर 2022 तक चलेगा। माह में भगवान श्रीहिरि विष्णु और उनके आठवें रूप श्रीकृष्ण की पूजा का खास महत्व रहता है। आओ जानते हैं इस माह के महत्व को।
1. अगला जन्म होता है सुखमय : इस माह में विधिवत व्रत उपवास रखने और पूजा करने मनुष्य दूसरे जन्म में रोग और शोक रहित रहता है। उसका अगला जन्म इस जन्म की अपेक्षा अधिक सुखमय रहता है और उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
2. पिछले जन्म का हो जाता है स्मरण : मार्गशीर्ष शुक्ल 12 को उपवास प्रारंभ कर प्रति मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक की द्वादशी को पूरा करना चाहिए। प्रति द्वादशी को भगवान विष्णु के केशव से दामोदर तक 12 नामों में से एक-एक मास तक उनका पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से इससे पूजक 'जातिस्मरण' यानी पूर्व जन्म की घटनाओं को स्मरण रखने वाला हो जाता है तथा उस लोक को पहुंच जाता है, जहां फिर से संसार में लौटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
3. पापों को नष्ट करने वाला माह : महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि जो मार्गशीर्ष माह में एक समय भोजन करके अपना दिन बिताता है और अपनी शक्ति के साथ दान पुण्य करता है वह समस्त पापों को नष्ट कर देता है।
4. इस माह के गुरुवार का महत्व : इस माह में सभी गुरुवार को श्रीहरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि इस माह में माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और वह उस घर में जाती हैं जहां पर उनकी विधिवत पूजा की जा रही है।
5. दान पुण्य और स्नान के महत्व : इस माह में दान पुण्य के साथ ही नदी स्नान करने का खासा महत्व है। अगर इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो इसे न गंवाएं, अवश्य ही नदी में स्नान करें। शिव पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष में चांदी का दान करने से पुरुषत्व की वृद्धि होती है। शिव पुराण की विश्वेश्वर संहित अनुसार केवल अन्नदान करने से सभी तरह के अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है।
6. गीता का पाठ : इस महीने में नित्य श्रीमद्भगवत गीता का पाठ करें। भगवान श्री कृष्ण की उपासना अधिक से अधिक समय तक करें। या, पूरे महीने ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का निरंतर जाप करें। श्री कृष्ण को तुलसी के पत्तों का भोग लगाकर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
7. संध्यावंदन : इस महीने से संध्याकाल की उपासना अनिवार्य हो जाती है।
8. तेल मालिश : मार्गशीर्ष के महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम होती है।
9. परिधान : इस महीने से मोटे परिधानों का उपयोग भी शुरू कर देना चाहिए।
10. भोजन : इस महीने से चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन शुरू कर देना चाहिए।