Kartik Poornima 2020 : 'कार्तिक पूर्णिमा' दीप और प्रकाश का पर्व
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में धन से संबंधित विशेष आराधना व उपासना की जाती है, जिससे धन, आयु व आरोग्य की प्राप्ति होती है। अपने अंधकार दूर होकर जीवन प्रकाशमान हो जाता है। कार्तिक मास में दीपदान करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं। इस मास में धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है।
पुराण कहते हैं कि जो मनुष्य इस महीने में देवालय, नदी किनारे, तुलसी के समक्ष एवं अपने शयन कक्ष में दीप लगाता (जलाता) है, उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। भगवान नारायण विष्णु एवं लक्ष्मी जी को दीपक लगाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं। मनुष्य पुण्य का भागी होकर वह लक्ष्मी कृपा को प्राप्त करता है। इस माह में किया गया स्नानदान, दीपदान एवं तुलसी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।
स्कंद पुराण तथा पद्म पुराण के अनुसार यह माह धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को देने वाला कहा गया है। इस माह में खास तौर पर दीपावली के बाद गोपाष्टमी, आंवला नवमी और देवउठनी एकादशी पर पूजन का काफी महत्व है। इस माह साथ ही कार्तिक शुक्ल प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी के पौधे को सजा कर भगवान शालिग्राम के पूजन के साथ उनका विवाह संपन्न कराया जाता है। कार्तिक में तुलसी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।
कार्तिक पूर्णिमा धन, आयु व आरोग्य देती है तथा मनुष्य के लिए मोक्ष के द्वार खोलती है। इसके साथ ही इस माह के अंतिम दिन में आने वाली बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन और चातुर्मास की समाप्ति कार्तिक पूर्णिमा पर होती है।