गुरु प्रदोष का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इसका महत्व?
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार गुरु प्रदोष व्रत शुभ मंगलकारी और शिव जी की अपार कृपा दिलाने वाला माना जाता है। प्रदोष के दिन सायंकाल में पूजन किया जाता है। इस व्रत के संबंध में मान्यता के अनुसार यह व्रत सौ गायों का दान करने के बराबर फल देता है। गुरु प्रदोष व्रत दुश्मनों या शत्रुओं का नाश करने वाला तथा सभी कष्ट और पापों का भी नाश करने वाला माना गया है।
इस वर्ष गुरु प्रदोष व्रत दिन बृहस्पतिवार, 15 जून, 2023 को रखा जाएगा। इस बार आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 15 जून गुरुवार को सुबह 08.32 मिनट से होगा तथा इसका समापन 16 जून 2023, शुक्रवार को सुबह 08.39 मिनट पर होगा।
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व जानिए यहां :
महत्व- वर्ष 2023 में 15 जून, दिन गुरुवार को आषाढ़ कृष्ण द्वादशी-त्रयोदशी के दिन गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat 2023) पड़ रहा है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सायंकाल के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता नुसार प्रदोष व्रत बहुत अतिशुभ, मंगलकारी तथा भोलेनाथ जी की कृपा दिलाने वाला माना गया है।
प्रदोष व्रत अतिश्रेष्ठ, शत्रु विनाशक तथा भक्ति प्रिय व्रत माना जाता है, जो कि शत्रुओं का विनाश तथा सभी तरह के कष्ट और पापों का नाश करने वाला माना जाता है। मान्यता के अनुसार गुरु प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गायें दान करने का पुण्यफल प्राप्त होता है।
त्रयोदशी तिथि के दिन सायं के समय प्रदोष काल में भगवान शिव जी का पूजन किया जाता है। इस दिन पूजन के लिए एक जल से भरा हुआ कलश, बेल पत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद और पीले पुष्प एवं माला, आंकड़े का फूल, सफेद और पीली मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री, 1 आरती के लिए थाली सभी सामग्री को एकत्रित करके देवगुरु बृहस्पति तथा शिव-पार्वती जी का पूजन किया जाता है।
साथ ही 'ॐ नम: शिवाय:' तथा 'ॐ बृं बृहस्पतये नम:' मंत्र का जाप करना अधिक महत्व का माना गया है। गुरु प्रदोष व्रत पूजन से शिवजी तथा देवगुरु की कृपा प्राप्त होती है।
Guru Pradosh Vrat
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