परिवर्तिनी एकादशी यानी जलझूलनी : डोल ग्यारस के दिन होता है श्रीकृष्ण का जलवा पूजन
भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं। इसके अलावा इसे जलझूलनी यानी डोल ग्यारस भी कहते हैं। इसके अलावा इसे वामन और पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 17 सितंबर 2021 शुक्रवार को रहेगी। आओ जानते हैं श्रीकृष्ण के जलवा पूजन की खास 4 बातें।
1. क्यों मनाते हैं डोल ग्यारस : श्रीकृष्ण जन्म के 16वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को 'डोल ग्यारस' के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। जलवा पूजन को कुआं पूजन भी कहा जाता है।
2. क्या होता है इस दिन : ऐसी मान्यता है, कि डोल ग्यारस का व्रत रखे बगैर जन्माष्टमी का व्रत पूर्ण नहीं होता। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का जलवा पूजन किया गया था। डोल ग्यारस के अवसर पर सभी कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है।
3. क्यों कहते हैं डोल ग्यारस : इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप बालमुकुंद को एक डोल में विराजमान करके उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसीलिए इसे डोल ग्यारस भी कहा जाने लगा।
4. डोल का नगर भ्रमण : भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक डोल में विराजमान कर उनको नगर भ्रमण कराया जाता है। इस अवसर पर कई शहरों में मेले, चल समारोह, अखाड़ों का प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। इसके साथ ही डोल ग्यारस पर भगवान राधा-कृष्ण के एक से बढ़कर एक नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल निकाले जाते हैं।