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रूस-यूक्रेन वॉर पर कविता : युद्ध

रूस-यूक्रेन वॉर पर कविता : युद्ध - Poem on Russia Ukraine War
भरा आकाश और नभ मंडल बारूद और धुएं की बौछार है
सिसक रही मानवता ये कैसा नरसंहार है
जहां थी तारों की लड़ियां वहां बमों की भरमार है
कांप रहा नभमंडल सारा ये कैसा अत्याचार है
खोज ली बेटी ने जीवन बचाने की औषधि 
पर क्यों पिता का युद्ध व्यापार है
बेबस बच्चे भूखे-प्यासे मां-बाप भी लाचार हैं
क्यों कर चली गई इंसानियत क्यों हैवानियत का ही राज है
बातों से कर सकते थे सुलह जहां, बेकार ही किया संहार है
नर कंकालों से भर गई धरती पर फिर भी ना बदला उनका व्यवहार है।

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