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Written By Author गिरीश पांडेय

गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों के संघर्ष का साक्षी होगा राम मंदिर

अयोध्या राम मंदिर के भूमि पूजन की तीसरी सालगिरह

गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों के संघर्ष का साक्षी होगा राम मंदिर - Third anniversary of Bhoomi Pujan of Ram temple Ayodhya
उनका ताउम्र एक ही सपना था। अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो। तीन साल पहले आज ही की तारीख थी, जब इस सपने को साकार करने की बुनियाद पड़ी। शीघ्र ही यह अपनी पूरी भव्यता के साथ दिखने भी लगेगा। बात राम मंदिर आंदोलन के शीर्षस्थ लोगों में शुमार गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की हो रही है। प्यार और श्रद्धा से लोग उनको बड़े महाराज ही कहते थे।
 
यकीनन आज वे बेहद खुश होंगे। खासकर यह देखकर कि देश और दुनिया के करोड़ों हिंदुओं के आराध्य पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मभूमि पर करीब 500 वर्ष बाद पिछले साल इसी तारीख (5 अगस्त) को 3 साल पहले राम मंदिर की बुनियाद उनके शिष्य गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी, वह तेजी से उनके काबिल शिष्य की देखरेख में तेजी से मूर्त रूप ले रहा है।
 
इसके पहले राम मंदिर के बाबत सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर न बनने तक टेंट से हटाकर चांदी के सिंहासन पर एक अस्थाई ढांचे में ले जाने का काम भी योगीजी ने ही किया था। दिसंबर 1949 में तब अयोध्या में रामलला के प्रकटीकरण के समय उनके दादा गुरु ब्रह्मलीन गोरक्ष पीठाधीश्वर दिग्विजयनाथ अयोध्या में ही मौजूद थे। यही नहीं 1986 में जब मन्दिर का ताला खुला तो बड़े महराज अयोध्या में मौजूद थे।
 
इतिहास में ऐसी तीन पीढ़ियां मिलना विरल हैं, जिन्होंने एक दूसरे के सपनों को न केवल अपना बनाया। बल्कि इसके लिए शिद्दत से संघर्ष भी किया। नतीजा सबके सामने है।