किसके दावे में दम? शरद के साथ 44 MLA, अजित के साथ 45
Maharashtra Political News: महाराष्ट्र में एक बार फिर वैसा ही घटनाक्रम हुआ है, जैसा कि करीब एक साल पहले हुआ था। पिछली बार शिवसेना टूटी थी और बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने थे। इस बार एनसीपी टूटी है और अजित पवार की डिप्टी सीएम पद पर ताजपोशी हुई है। लोकसभा चुनाव से पहले इस घटनाक्रम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एनसीपी की टूट के बाद दोनों ही गुटों का दावा है कि उनके पास विधायकों की संख्या ज्यादा है।
दलबदल कानून का कितना असर : वर्तमान में एनसीपी के विधायकों की संख्या 53 है और दलबदल कानून से बचने के लिए बागी गुट के पास 36 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है। यदि अजित गुट 36 विधायकों का समर्थन नहीं जुटा पाया तो दलबदल कानून के तहत उनके साथी विधायकों की विधानसभा सदस्यता खत्म हो सकती है।
अजित पवार गुट का दावा : इस बीच, अजित गुट का दावा है कि उसके पास 35 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। अजित गुट से मंत्री पद की शपथ लेने वाले अनिल पाटिल ने कहा कि 35 विधायक हमारे साथ हैं। जल्द ही यह आंकड़ा बढ़कर 45 से 47 हो सकता है। क्योंकि कुछ विधायकों फोन हमारे संपर्क में हैं। दरअसल, बीबीसी मराठी को दिए एक साक्षात्कार में पाटिल ने इस तरह का दावा किया है।
शरद पवार के साथ 44 विधायक : वहीं, एनसीपी नेता और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने 9 मंत्रियों के शपथ ग्रहण को गैर कानूनी बताया है। उन्होंने कहा कि इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पाटिल ने पार्टी छोड़कर गए विधायकों को वापस लौटने का आग्रह करते हुए दावा किया कि उनके साथ 44 विधायकों का समर्थन है।
एनसीपी ने बागी विधायकों को 5 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया है। 5 जुलाई को पार्टी की बैठक में बागी विधायकों को नोटिस देने का फैसला लिया जाएगा। दरअसल, शरद पवार गुट उन्हीं 9 विधायकों को अजित के साथ मान रहा है, जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है। हालांकि शरद पवार ने सतारा की रैली में कहा कि वे भाजपा की उसकी सही जगह दिखाकर रहेंगे।
शक के घेरे में शरद पवार : दूसरी ओर, कुछ नेताओं ने शरद पवार पर ही इस पूरे घटनाक्रम के लिए अंगुली उठाई है। एआईएमआई नेता असीम वकार ने कहा है कि अजित पवार खुद नहीं गए हैं, इसमें शरद पवार की रजामंदी शामिल हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल ने कहा कि एक दो दिन में साफ हो जाएगा कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे शरद पवार हैं या नहीं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala