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Last Modified: गुरुवार, 2 अगस्त 2018 (16:22 IST)

निजी अस्पतालों में सर्जरी से प्रसव का मुद्दा लोकसभा में गूंजा, स्थिति पर नजर रखने का आग्रह

निजी अस्पतालों में सर्जरी से प्रसव का मुद्दा लोकसभा में गूंजा, स्थिति पर नजर रखने का आग्रह - Private hospital
नई दिल्ली। सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में सर्जरी से प्रसव का आंकड़ा 3 गुना ज्यादा होने संबंधी मामला गुरुवार को लोकसभा में गूंजा और केंद्र तथा राज्य सरकारों से इन आंकड़ों के मद्देनजर स्थिति पर नजर रखने का आग्रह किया गया।
 
 
भारतीय जनता पार्टी के महेश गिरि ने शून्यकाल में यह मामला उठाया और कहा कि सर्जरी की बजाय सामान्य प्रसव को महत्व दिया जाना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में सामान्य प्रसव को महत्व दिया जाता है लेकिन निजी अस्पतालों में सर्जरी को प्राथमिकता दी जाती है इसलिए निजी अस्पतालों में डिलीवरी के समय सर्जरी के आंकड़े चौंकाने वाले है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।
 
उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में सर्जरी से डिलीवरी के मामले 12 प्रतिशत तक हैं जबकि निजी अस्पतालों में यह 35 प्रतिशत से ऊपर निकल चुका है। गांव की तुलना में शहरी क्षेत्रों में प्रसव के समय सर्जरी का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।
 
भाजपा सदस्य ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सर्जरी से डिलीवरी के मामलों का प्रतिशत 8.5 तक होना चाहिए, लेकिन भारत के कई राज्यों में यह 45 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। (वार्ता)
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