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Last Updated : सोमवार, 8 जुलाई 2024 (16:22 IST)

दुनियाभर में बढ़ा वैश्विक तापमान, जून माह अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज

Heat
hottest month ever: 5 महाद्वीपों में पिछले महीने करोड़ों लोगों के कड़ी तपिश (heat last) महसूस करने के बाद यूरोपीय संघ की जलवायु एजेंसी ने सोमवार को नई दिल्ली में पुष्टि की कि जून अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया। कॉपरनिकस क्लाईमेट चेंज सर्विस (C3S) ने बताया कि यह लगातार 12वां महीना है, जब वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के औसत तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच गया है।
 
सी3एस के वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले साल जून से लेकर अब तक हर महीना सबसे गर्म दर्ज किया गया है। पेरिस में 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विश्व नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत ताप वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक काल से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

 
वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों (मुख्य रूप से कार्बन डाईऑक्साइड और मीथेन) की तेजी से बढ़ती सांद्रता के कारण पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1850-1900 के औसत की तुलना में पहले ही लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस ताप वृद्धि को दुनियाभर में सूखा पड़ने, वनों में आग लगने और बाढ़ की रिकॉर्ड घटनाओं की वजह माना जाता है।
 
नए आंकड़ों के अनुसार जून 2024 रिकॉर्ड गर्म माह दर्ज किया गया। सी3एस ने एक बयान में कहा कि यह महीना 1850-1900 (पूर्व औद्योगिक काल) के लिए अनुमानित जून के औसत तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था जिससे यह 1.5 डिग्री सीमा तक पहुंचने या उसे तोड़ने वाला लगातार 12वां महीना बन गया।
 
जून में कई देशों को रिकॉर्डतोड़ गर्मी और विनाशकारी बाढ़ तथा तूफान का सामना करना पड़ा। अमेरिका स्थित वैज्ञानिकों के एक स्वतंत्र समूह क्लाईमेट सेंट्रल के एक विश्लेषण के अनुसार दुनिया की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ने अत्यधिक गर्मी का सामना किया।

 
क्लाईमेट सेंट्रल ने बताया कि भारत में 61.9 करोड़, चीन में 57.9 करोड़, इंडोनेशिया में 23.1 करोड़, नाइजीरिया में 20.6 करोड़, ब्राजील में 17.6 करोड़, बांग्लादेश में 17.1 करोड़, अमेरिका में 16.5 करोड़, यूरोप में 15.2 करोड़, मेक्सिको में 12.3 करोड़, इथियोपिया में 12.1 करोड़ और मिस्र में 10.3 करोड़ लोगों ने जून में भीषण गर्मी का प्रकोप झेला।
 
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार उत्तर-पश्चिमी भारत में 1901 के बाद सबसे गर्म जून दर्ज किया गया। देश में लू लगने के कारण 40,000 से अधिक लोगों की मौत होने और गर्मी के कारण 100 से अधिक लोगों की मौत होने की आशंका है। भीषण गर्मी से जल आपूर्ति प्रणाली और बिजली ग्रिड पर भी प्रभाव पड़ा और दिल्ली में भीषण जल संकट पैदा हो गया।

 
आईएमडी के अनुसार अप्रैल से जून की अवधि के दौरान 11 राज्यों में 20 से 38 दिन लू वाले दर्ज किए गए। यह आंकड़ा ऐसे दिनों की सामान्य संख्या की तुलना में 4 गुना अधिक है। राजस्थान के कुछ हिस्सों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया और कई स्थानों पर रात का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा। पूर्वी कनाडा, पश्चिमी अमेरिका और मैक्सिको, ब्राजील, उत्तरी साईबेरिया, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी अंटार्कटिका में तापमान औसत से अधिक रहा।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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