'गगनयान' के लिए तैयारी शुरू, मध्य अप्रैल में चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की है योजना : इसरो
बेंगलुरु। इसरो ने भारत के दूसरे चंद्र अभियान के लिए मध्य अप्रैल का समय तय करने की शुक्रवार को घोषणा की है और कहा कि अंतरिक्ष के पहले मानवीय मिशन 'गगनयान' के लिए 2021 के अंत का समय निर्धारित किया गया है। इस अभियान में किसी महिला को भी शामिल किए जाने की संभावना है।
इसरो ने इससे पहले कहा था कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण इस साल जनवरी से 16 फरवरी के बीच किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष के. शिवन ने बताया कि जहां तक चंद्रयान 2 के प्रक्षेपण की बात है तो इसके लिए 25 मार्च से अप्रैल अंत का समय तय किया गया है। ज्यादा संभावना है कि सामान्य लक्षित तारीख अप्रैल का मध्य है।
इसरो के कार्यक्रम के बारे में उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी ने इसे पहले जनवरी और फरवरी के चंद्रयान प्रक्षेपित करने की योजना बनाई थी लेकिन कुछ परीक्षणों के नहीं हो पाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। प्रक्षेपण के बारे में एक सवाल पर इसरो प्रमुख ने कहा कि अप्रैल के लक्ष्य से चूकने के बाद अगला लक्ष्य जून का होगा लेकिन हम अप्रैल का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
तकरीबन 800 करोड़ रुपए की लागत वाला यह अभियान करीब 10 साल पहले प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-1 का उन्नत संस्करण है। यह पूरी तरह स्वदेशी अभियान है। इसरो ने 3 सदस्यीय अंतरिक्ष यात्रियों को मानवीय मिशन पर ले जाने के लिए एक विशेष केंद्र बनाया है। 'गगनयान' को इसरो के लिए अभियान का महत्वपूर्ण बिंदु बताते हुए शिवन ने कहा कि यह अंतरिक्ष एजेंसी के लिए अहम भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा कि इसरो ने मानव को भेजने के कार्यक्रम के संबंध में हर चीज पर नजर रखने के लिए 'ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर' शुरू किया है। इसरो प्रमुख ने कहा कि इस केंद्र के निदेशक वरिष्ठ वैज्ञानिक उन्नीकृष्णन नायर होंगे, जबकि डॉ. आर. हटन को परियोजना निदेशक की जिम्मेदारी दी गई है।
अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक इस साल सबसे बड़ी प्राथमिकता 'गगनयान' है। पहले मानवरहित अभियान के लिए दिसंबर 2020 और दूसरे अभियान के लिए जुलाई 2021 का समय निर्धारित किया है। इसे पूरा करने के बाद मानवीय मिशन के लिए दिसंबर 2021 का समय तय किया गया है। क्रू के सदस्य भारतीय होंगे और 'गगनयान' पर जाने वालों को शुरुआती प्रशिक्षण भारत में मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हमारे इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएएम) में प्रशिक्षण का इंतजाम है लेकिन अत्याधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम विदेश में संभवत: रूस में होगा। महिला अंतरिक्ष यात्री के बारे में पूछे जाने पर इसरो प्रमुख ने कहा कि हम चाहते हैं कि महिला अंतरिक्ष यात्रियों को भी वहां जाना चाहिए। यह हमारा लक्ष्य है। मेरे विचार में हमें पुरुषों और महिलाओं- दोनों को प्रशिक्षित करना है।
पिछले साल लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि साल 2022 यानी आजादी के 75वें वर्ष में और संभव हुआ तो उससे पहले ही हमारे युवक और युवतियां अंतरिक्ष में तिरंगा फहराएंगे। उनकी टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह करते हुए खुशी होगी लेकिन इसमें प्रशिक्षण और अन्य चीजें भी जुड़ी हुई हैं।
अंतरिक्ष यात्रा के लिए लोगों के चयन के बारे में एक सवाल पर इसरो प्रमुख ने कहा कि भारतीय इस प्रक्रिया को अंजाम देंगे और इस प्रक्रिया में भारतीय वायुसेना भी रहेगी। शिवन ने कहा कि अंतिम प्रक्रिया में हम विदेशी एजेंसी को भी शामिल कर सकते हैं। केंद्रीय कैबिनेट ने हाल में 9,023 करोड़ रुपए के कार्यक्रम को मंजूरी दी थी। (भाषा)