सोमनाथ मंदिर के पास विध्वंस मामला : Supreme Court ने कहा दीवार 5-6 फुट ऊंची हो, अतिक्रमण रोकने के लिए बनाई जा रही दीवार
Demolition case near Somnath temple : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात सरकार से कहा कि गिर स्थित सोमनाथ मंदिर के पास एक विध्वंस स्थल पर अतिक्रमण रोकने के लिए बनाई जा रही दीवार 5 से 6 फुट ऊंची होनी चाहिए। पीठ ने ये टिप्पणियां कीं। राज्य सरकार ने पीठ को सूचित किया था कि वह अतिक्रमण रोकने के लिए एक दीवार बनवा रही है। पीठ ने सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख तय की। शीर्ष अदालत ने 31 जनवरी को गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में ध्वस्त की गई एक दरगाह पर 1 फरवरी से 3 फरवरी के बीच उर्स आयोजित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने ये टिप्पणियां कीं। राज्य सरकार ने पीठ को सूचित किया था कि वह अतिक्रमण रोकने के लिए एक दीवार बनवा रही है। परिसर की दीवार की ऊंचाई पर याचिकाकर्ता के दावे का विरोध करते हुए गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अधिकारी हमेशा परिसर की दीवार बनाकर सरकारी भूमि की रक्षा कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, 12 फुट की दीवार मत बनवाइए। अगर आप अतिक्रमण रोकना चाहते हैं तो पांच से छह फुट काफी है। मेहता ने कहा कि 12 फुट की दीवार बनाने का दावा याचिकाकर्ता के वकील का मौखिक कथन मात्र है। उन्होंने कहा, हम कोई किलेबंदी नहीं कर रहे कि कोई अंदर नहीं जा सके। यह अनधिकृत अतिक्रमण से इसे बचाने के लिए हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने मेहता से कहा कि इस बारे में संबंधित जिलाधिकारी को निर्देश दिया जाए। मेहता ने कहा, मैं निर्देश दूंगा। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि अधिकारी परिसर की दीवार बनाकर यथास्थिति बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
मेहता ने हेगड़े के दावों को खारिज कर दिया और इस मामले में शीर्ष अदालत में दिए गए उनके पहले के बयान का जिक्र किया। मेहता ने 31 जनवरी को स्पष्ट बयान दिया था कि अतिक्रमण वाली जमीन पर हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों समेत किसी भी गतिविधि की मंजूरी नहीं दी जा रही।
उन्होंने सोमवार को कहा स्थिति जस की तस है। उन्होंने कहा, हम केवल अतिक्रमण रोकने के लिए परिसर की दीवार बना रहे हैं। हेगड़े ने कहा कि अधिकारी 12 फुट ऊंची दीवार बना रहे हैं और याचिकाकर्ता को नहीं पता कि अंदर क्या हो रहा है। पीठ ने कहा, आपको पता क्यों नहीं होगा? अब तो हर जगह ड्रोन उपलब्ध हैं।
तब हेगड़े ने कहा, यह ऐसा है जैसे आपने ग्रेट वॉल ऑफ चाइना बना दी हो और कह रहे हों कि हम उसकी रक्षा कर रहे हैं। मेहता ने जवाब दिया, यह ग्रेट वॉल ऑफ चाइना नहीं है। कृपया मामले को सनसनीखेज नहीं बनाएं। याचिकाकर्ता ने कहा कि स्थान पर यथास्थिति बनाकर रखी जानी चाहिए। पीठ ने सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख तय की।
शीर्ष अदालत ने हेगड़े से कहा कि अधिकारी कोई अन्य निर्माण कार्य करते हैं तो वह अदालत में आ सकते हैं। शीर्ष अदालत ने 31 जनवरी को गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में ध्वस्त की गई एक दरगाह पर 1 फरवरी से 3 फरवरी के बीच उर्स आयोजित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
पीठ ने मेहता की दलील का संज्ञान लिया कि सरकार की जमीन पर मंदिर समेत समस्त अनधिकृत निर्माण कार्यों को गिरा दिया गया। शीर्ष अदालत की पूर्व अनुमति के बिना 28 सितंबर को जिले में आवासीय और धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए गुजरात अधिकारियों के खिलाफ भी एक अवमानना याचिका दायर की गई थी। गुजरात सरकार ने अपने विध्वंस अभियान को जायज ठहराते हुए कहा कि यह सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने का एक सतत अभियान है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour