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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 13 जुलाई 2023 (20:56 IST)

नाबालिग के साथ सहमति से यौन संबंध, इस तरह मिली आरोपी को जमानत

नाबालिग के साथ सहमति से यौन संबंध, इस तरह मिली आरोपी को जमानत - Consensual sex with a minor, how the accused got bail
Delhi high court news: यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के पीछे का उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण से बचाना था न कि युवा वयस्कों के बीच सहमति से प्रेम संबंधों को अपराध बनाना। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए एक नाबालिग लड़की के अपहरण और यौन उत्पीड़न के आरोपी 25 वर्षीय व्यक्ति को जमानत दे दी।
 
उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले में महत्वपूर्ण गवाह लड़की ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया है और उसके बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि वह उस आदमी के साथ प्रेम संबंधों में थी।
 
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पीड़ित नाबालिग है और एमएलसी (मेडिकल रिपोर्ट) यौन उत्पीड़न की आशंका से इंकार नहीं करती है, लेकिन अभियोजक की गवाही के आलोक में एमएलसी को क्या महत्व दिया जाना है, इस पर सुनवाई पूरी होने के बाद निचली अदालत निर्णय ले।
 
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस अदालत ने पाया कि पॉक्सो अधिनियम का उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाना था। इसका उद्देश्य युवा वयस्कों के बीच सहमति से बने प्रेम संबंधों को अपराध बनाना कभी नहीं था। लड़की की मां ने 2022 में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी 15 वर्षीय बेटी को पड़ोस में रहने वाला एक व्यक्ति ले गया है और वह वापस नहीं लौटी।
 
इस आधार पर जमानत : पिछले 11 महीने से हिरासत में बंद व्यक्ति ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि लड़की ने अपनी गवाही में अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि दोनों में प्रेम संबंध थे।
 
आरोपी के वकील ने कहा कि पीड़िता की गवाही से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि उसके माता-पिता घर पर उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे थे और इसलिए उसने उसे अपने साथ ले जाने के लिए मना लिया। अभियोजक ने कहा कि चूंकि लड़की नाबालिग है ऐसे में भले ही वह अपनी इच्छा से युवक के साथ गई हो, ऐसी सहमति की कानून में कोई प्रासंगिकता नहीं है।
 
लड़की की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उसकी जांच करने वाले डॉक्टर ने राय दी है कि यौन उत्पीड़न की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
 
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि लड़की की गवाही से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि उसने अपनी मर्जी से अपने माता-पिता का घर छोड़ा और उस व्यक्ति को उसे अपने साथ ले जाने के लिए राजी किया। (भाषा)
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