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Last Updated : मंगलवार, 23 जनवरी 2024 (23:40 IST)

कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न, JDU ने मोदी सरकार को दिया धन्यवाद

karputi thkur
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bharat ratna award to karpoori thakur : कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाएगा। मोदी सरकार ने मरणोपरांत ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। जेडीयू ने मोदी सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया है।  बिहार (Bihar) में जननायक कर्पूरी ठाकुर (Jannayak karpuri thakur) की 24 जनवरी को जयंती मनाई जाती है। इस जयंती के बहाने बिहार के लगभग सभी दल कर्पूरी ठाकुर की विरासत का दावा करते हैं। कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि 36 साल की तपस्या का फल मिला है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को यह घोषणा की।

मोदी सरकार ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बिहार में अपने समय के दिग्गज नेता रहे और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत देश का सबसे सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की। ठाकुर को उनकी 100 वीं जयंती से एक दिन पहले यह सम्मान देने की सरकार की घोषणा को लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र सरकार के महत्वपूर्ण तथा दूरगामी कदम के रूप में देखा जा रहा है।

कौन थे कर्पूरी ठाकुर : कर्पूरी ठाकुर भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया में 24 जनवरी 1924 में हुआ था। इस गांव को अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे।
 
भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे। 17 फरवरी 1988 को ठाकुर का निधन हुआ था। 
उनकी सेवा भावना के कारण ही उन्हें जननायक कहा जाता था। वह सदा गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछड़ों को 12 प्रतिशत आरक्षण दिया। कर्पूरी ठाकुर दूरदर्शी होने के साथ-साथ एक ओजस्वी वक्ता भी थे।
आजादी के समय पटना की कृष्णा टॉकीज हॉल में छात्रों की सभा को संबोधित करते हुए ठाकुर ने कहा था- हमारे देश की आबादी इतनी अधिक है कि केवल थूक फेंक देने से अंग्रेजी राज बह जाएगा। इस भाषण के कारण उन्हें सजा भी मिली थी। कर्पूरी ठाकुर का चिर-परिचित नारा था- 'अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो'। 
 
लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया ठाकुर के राजनीतक गुरु थे। रामसेवक यादव एवं मधु लिमये जैसे दिग्गज इनके साथी रहे थे। ठाकुर लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान और सुशील कुमार मोदी के राजनीतिक गुरु माने जाते हैं।