इस बार भी 20 से 22 फुट ऊंचा प्रकट हुआ अमरनाथ का हिमलिंग
जम्मू। हालांकि कोरोनावायरस (Coronavirus) संकट के कारण लगातार दूसरे साल अमरनाथ यात्रा शुरू होने पर अभी भी संदेह है, पर 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ यात्रा के प्रतीक हिमलिंग को बचाने के लिए इस बार अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है जो इस बार भी अपने पूर्ण आकार में प्रकट हुआ है।
फिलहाल प्रदेश प्रशासन सर्दी के कारण हिमलिंग की रक्षार्थ सुरक्षाकर्मी तैनात करने से इनकार कर रही है, पर उस पर दबाव बढ़ रहा है कि वह एक टीम को गुफा की ओर रवाना करे जिसका मकसद यात्रा से पहले दर्शन करने की कोशिश करने वालों को रोकना है, यात्रा शुरू होती है तो।
यह भी सच है कि अमरनाथ की पवित्र गुफा में इस बार बनने वाला तकरीबन 20 से 22 फुट का ऊंचा हिमलिंग उस ग्लोबल वार्मिंग को जरूर चिढ़ा रहा है जिसके कारण दुनियाभर में बर्फ के तेजी से पिघलने का खतरा पैदा हो गया है। इस हिमलिंग के दर्शनों की खातिर 28 जून को यात्रा आरंभ होनी है पर कोरोना की दूसरी लहर के कारण कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।
यह सच है कि दुनियाभर के बढ़ते तापमान का असर बाबा बर्फानी पर बिलकुल नहीं दिख रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से लगाई जा रही अटकलों के बावजूद कश्मीर स्थित प्रसिद्ध अमरनाथ की गुफा में इस बार भी 20 से 22 फुट ऊंचा हिमलिंग प्रकट हुआ है।
इस बार अमरनाथ में बाबा बर्फानी 20 से 22 फुट के आकार में प्रकट हुए हैं। ग्लोबल वार्मिंग की आशंका के चलते माना जा रहा था कि हिमलिंग का आकार कम हो सकता है, लेकिन 14500 फुट की ऊंचाई पर इस गुफा में बाबा बर्फानी अपने पुराने रूप में मौजूद हैं।
जहां एक तरफ कश्मीर के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, वहीं इस वर्ष भी बाबा बर्फानी माता पार्वती और पुत्र गणेश के साथ पहले जैसे ही आकार में प्रकट हुए हैं। बाबा के द्वार तक पहुंचने के लिए भक्तों को काफी वक्त लग जाता है। बाबा के भवन तक जाने वाले बालटाल के रास्ते में अभी भी 20 फुट के करीब बर्फ जमा है। खून जमा देने वाली सर्दी पड़ रही है।
सरकारी तौर पर 2019 के दर्शन के लिए गुफा तक अभी भक्त नहीं पहुंच पाए हैं। गुफा तक सिर्फ पुलिस की एक टुकड़ी ही पहुंची थी, जिसने वहां का जायजा लिया है। कुछेक पुलिसकर्मियों ने हिमलिंग की फोटो भी ली है और यह पाया है कि पिछले साल हिमलिंग की सुरक्षा की खातिर जो प्रबंध किए गए थे, वे यथावत हैं। हालांकि कुछ श्रद्धालुओं द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि वे लॉकडाउन के बावजूद गुफा तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं।