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Last Modified: शनिवार, 24 जून 2017 (14:39 IST)

आप की गले की फांस बना ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला

आप की गले की फांस बना ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला - Aam Aadmi Party
चुनाव आयोग से आम आदमी पार्टी को जोरदार झटका लगा है। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में जारी चुनाव आयोग ने अंतरिम आदेश में आम आदमी पार्टी की दलीलें खारिज कर दी हैं। दिल्ली हाई कोर्ट पहले ही विधायकों की विवादित पद पर नियुक्ति को अवैध ठहरा चुका है।
 
चुनाव आयोग लाभ के पद के मामले में सुनवाई कर रहा है। आम आदमी पार्टी ने अपील की थी कि जब दिल्ली हाई कोर्ट ने नियुक्तियां ही रद्द कर दी तो अब आयोग को सुनवाई करने का ना कोई औचित्य है और न ही जरूरत। आयोग ने इस दलील और अपील को दरकिनार कर दिया है। अब राष्ट्रपति को भेजे जाने वाली राय के लिए सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद आयोग राष्ट्रपति को अपना मत भेजेगा कि इन विधायकों की नियुक्ति की वैधता पर उठे सवालों के जवाब क्या हैं। साथ ही इनकी सदस्यता का क्या हो।
 
चुनाव आयोग में आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के तहत शिकायत की गई थी। आयोग में शिकायत की गई थी कि अपने इलाके के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में 27 विधायक रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष बनाए गए है, जबकि केंद्र सरकार की 2015 की गाइडलाइंस के हिसाब से सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री, क्षेत्रीय सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष या फिर जिलाधिकारी ही रोगी कल्याण समिति का अध्यक्ष बन सकते हैं।
 
क्षेत्रीय विधायक केवल इस समिति का सदस्य ही बन सकता है या मनोनीत किया जा सकता है। सभी 27 विधायकों को हर अस्पताल में ऑफिस की जगह दी गई है। कई अधिकारी इस पर अपना विरोध भी जता चुके हैं। (भाषा)
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