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Last Modified: मुंबई , गुरुवार, 4 जनवरी 2018 (14:31 IST)

महाराष्ट्र बंद : मुंबई में 16 एफआईआर दर्ज, 300 हिरासत में

महाराष्ट्र बंद : मुंबई में 16 एफआईआर दर्ज, 300 हिरासत में - 16 FIR, 300 detained in Mumbai
मुंबई। मुंबई पुलिस ने बुधवार को बंद के दौरान दलित समूहों द्वारा किए गए विरोध  प्रदर्शनों के संबंध में 300 लोगों को हिरासत में लिया है, साथ ही 16 प्राथमिकी भी दर्ज की  है। भीमा कोरेगांव जातीय झड़पों के खिलाफ बुधवार को बंद की घोषणा की गई थी। जिले  में तनाव के मद्देनजर कोल्हापुर में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित की गईं।
 
एमएसआरटीसी के अधिकारियों ने बताया कि बंद के दौरान राज्यभर प्रदर्शनकारियों के हमले  में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की करीब 200 बसें क्षतिग्रस्त हुई थीं। पुलिस ने  बताया कि मुंबई में विभिन्न पुलिस थानों में 16 प्राथमिकी दर्ज की गई है और 300 से  अधिक संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया है।
 
कोल्हापुर, जो समाज सुधारक दिवंगत छत्रपति साहूजी महाराज का गृह जिला है, वहां  प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को निगम की 13 बसों पर हमला किया था। एक अधिकारी ने  बताया कि कोल्हापुर जिला पुलिस ने एहतियाती तौर पर गुरुवार देर रात तक के लिए  इंरटनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं।
 
दलित समूहों ने बुधवार को जिले में प्रदर्शन किए थे जिसके जवाब में शिवसेना विधायक  राजेश क्षीरसागर के नेतृत्व में रैलियां की गईं। पुलिस ने बताया कि मराठवाड़ा क्षेत्र के  परभणी जिले में आरएसएस के कार्यालय पर बुधवार को हमला किया गया था। परभणी  पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने आरएसएस विरोधी नारे लगाए। उन्होंने बताया कि  संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
 
पुलिस ने बताया कि राज्य के श्रममंत्री संभाजी पाटिल निलंगेकर के लातूर जिले स्थित गृह  नगर निलंगा में करीब 40 दोपहिया वाहनों और 10 से 12 चारपहिया वाहनों को क्षतिग्रस्त  किया। 1 जनवरी को पुणे जिले में हुई हिंसा के बाद बुधवार को बंद की घोषणा की गई  थी।
 
पुणे जिले में उस समय हिंसा भड़क उठी, जब दलित संगठन भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं  सालगिरह मना रहे थे। इस युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना  को हरा दिया था। दलित नेता ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि  उस समय अछूत माने जाने वाले महार समुदाय के सैनिक कंपनी की सेना का हिस्सा थे।  पेशवा ब्राह्मण थे और इस लड़ाई को दलित की जीत का प्रतीक माना जाता है। (भाषा)
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